Gallbladder cancer: ग्राउंड वाटर में मौजूद आर्सेनिक से हो सकता है कैंसर, बिहार के अलावा इस राज्य में है ज्यादा खतरा

विशेषज्ञों द्वारा किए गए अध्ययन में पाया गया है कि 38 जिलों में से 18 में भूजल में उच्च आर्सेनिक संदूषण है. सबसे ज्यादा प्रभावित जिले बक्सर, भोजपुर और भागलपुर हैं. बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष अशोक कुमार घोष ने इस पुष्टि की है.

ग्राउंट वाटर में मौजूद आर्सेनिक से हो सकता है कैंसर,
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 15 जनवरी 2023,
  • अपडेटेड 8:14 PM IST
  • आर्सेनिक से होता है पित्ताशय के कैंसर का खतरा
  • असम-बिहार के मरीजों पर हुआ अध्ययन

बिहार और असम के रिसर्चर्स ने एक शोध में पाया है कि पीने के पानी के माध्यम से आर्सेनिक (Arsenic) के संपर्क में आने वाले लोगों में पित्ताशय (Gall bladder) के कैंसर का खतरा बढ़ता है. आर्सेनिक के तत्व ग्राउंड वाटर में पाए जाते हैं. डब्लूएचओ और यूरोपीय संघ ने इसे कैंसर कारक तत्वों की सूची में रखा है. लेकिन बिहार और असम की तरह कई जिले हैं, जहां ऐसे पानी को पिया जा रहा है, जिसमें आर्सेनिक की मात्रा मौजूद है.

आर्सेनिक से होता है पित्ताशय के कैंसर का खतरा
अमेरिकन एसोसिएशन फॉर कैंसर रिसर्च के कैंसर एपिडेमियोलॉजी, बायोमार्कर और प्रिवेंशन जर्नल में हाल ही में प्रकाशित हुए एक पेपर में पाया गया है कि ग्राउंड वॉटर में 1.38-8.97 माइक्रोग्राम प्रति लीटर आर्सेनिक होता है. साथ ही रिसर्च में ये भी पाया गया कि एवरेज आर्सेनिक कॉन्सेंट्रेशन के संपर्क में आने वाले लोगों को पित्ताशय के कैंसर का 2 गुना अधिक जोखिम होता है. जबकि इससे उच्च आर्सेनिक स्तर यानी (9.14-448.39 माइक्रोग्राम प्रति लीटर) के संपर्क में आने वालों में पित्ताशय की थैली के कैंसर का 2.4 गुना अधिक जोखिम था.

असम-बिहार के मरीजों पर हुआ अध्ययन
यह अध्ययन भारत के दो आर्सेनिक प्रभावित राज्यों असम और बिहार में सेंटर फॉर एनवायर्नमेंटल हेल्थ (CEH), पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया (PHFI), सेंटर फॉर क्रॉनिक डिजीज कंट्रोल (CCDC), डॉ भुवनेश्वर बरूआ कैंसर संस्थान (BBCI) के वैज्ञानिकों ने किया था. महावीर कैंसर संस्थान और अनुसंधान केंद्र (MCSRC), पटना और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान- खड़गपुर, लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन (LSHTM) के सहयोग से अध्ययन एक अस्पतालों में किया गया था, जहां असम-बिहार के अधिक मरीज थे. 

इस अध्ययन के निष्कर्षों से पता चलता है कि कम-मध्यम स्तर पर पीने के पानी में आर्सेनिक का संपर्क पित्ताशय की थैली के कैंसर का कारण हो सकता है. महावीर कैंसर संस्थान में अनुसंधान विभाग के प्रमुख और बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष अशोक कुमार घोष ने बताया कि उच्च जोखिम वाली आबादी यानी जो जहरीले आर्सेनिक की चपेट में है, उसकी निगरानी होनी चाहिए.

बता दें कि आर्सेनिक- पटना, बक्सर, मनेर, भोजपुर और भागलपुर सहित गंगा नदी बेल्ट के साथ कई जिलों में फैला हुआ है. बिहार के 38 में से 18 जिलों में भूजल ने 10 पीपीबी से अधिक आर्सेनिक स्तर दिखाया है, जो कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा निर्धारित स्तर से अधिक है.

 

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