NISAR Mission: धरती की निगरानी करने वाला दुनिया का पहला सैटेलाइट निसार, NASA और ISRO ने मिलकर बनाया, जानें क्या है खासियत

निसार (NASA - ISRO Synthetic Aperture Radar) सैटेलाइट 20 जुलाई के आसपास भारत के श्रीहरिकोटा से से लॉन्च किया जाएगा. यह सैटेलाइट जंगल के ऊपर से जमीन के नीच तक नजर रखेगा. इस सैटेलाइट पर इसरो और नासा ने मिलकर काम किया है.

NISAR Mission
अतुल तिवारी
  • अहमदाबाद,
  • 03 जुलाई 2025,
  • अपडेटेड 1:46 PM IST

पृथ्वी की सतह की निगरानी और भूकंप, भूस्खलन, ग्लेशियर और प्राकृतिक आपदाओं का पूर्वानुमान मिल सके, इस मकसद से निसार (NISAR) उपग्रह का लांचिंग आखिरकार जुलाई के अंत तक होने जा रहा है. निसार यानी NASA - ISRO Synthetic Aperture Radar इसरो (ISRO) और नासा (NASA) का एक संयुक्त पृथ्वी अवलोकन उपग्रह है. जिसे 20 जुलाई के आसपास भारत के आंध्रप्रदेश स्थित श्री हरिकोटा से जीएसएलवी रॉकेट के माध्यम से लांच किया जाएगा.

दुनिया का सबसे महंगा पृथ्वी-इमेजिंग उपग्रह-
ISRO की अहमदाबाद स्थित महत्वपूर्ण संस्था SAC यानी स्पेस एप्लीकेशन सेंटर ने S बैंड रडार और NASA की केलिफोर्निया स्थित JPL यानी जेट प्रप्लशन लैब ने L बैंड रडार बनाकर, दोनों का एकसाथ इस्तेमाल करके निसार उपग्रह के साथ जोड़कर तैयार किया है. यह उपग्रह दोहरे आवृत्ति सिंथेटिक एपर्चर रडार (SAR) यानी S-बैंड और L-बैंड का उपयोग करेगा. इस उपग्रह की अनुमानित लागत 1.5 बिलियन डॉलर (12,500 करोड) है, इस कीमत के मुताबिक NISAR दुनिया का सबसे महंगा पृथ्वी-इमेजिंग उपग्रह होगा.

नासा और इसरो के बीच हुई थी साझेदारी-
भारत के ISRO - SAC और अमेरिका के NASA - JPL के बीच साल 2012 में निसार उपग्रह के प्रक्षेपण के लिए साझेदारी की बातचीत शुरू हुई थी. साल 2014 में निसार उपग्रह के प्रक्षेपण की साझेदारी पर ISRO और NASA के बीच हस्ताक्षर हुए. जिसके मुताबिक निसार उपग्रह में दो रडार लगाने पर सहमति हुई, जिसमें से एक रडार अहमदाबाद स्थित SAC में और दूसरा रडार कैलिफोर्निया स्थित JPL में तैयार किया जाना तय हुआ था. निसार उपग्रह के सफल प्रक्षेपण से पृथ्वी के पर्यावरण को समझने और प्राकृतिक आपदाओं के बारे में जानकारी हासिल होगी, जिसको लेकर ना सिर्फ़ ISRO और NASA बल्कि पूरें विश्व के वैज्ञानिकों की उत्सुकता बढ चुकी है.


निसार सैटेलाइट में 2 रडार-
निसार उपग्रह के लिए ISRO और NASA के बीच समझौता हुआ. उस समय से ही इस मिशन से जुड़े अहमदाबाद स्थित SAC यानी स्पेस एप्लीकेशन सेंटर के डायरेक्टर डॉक्टर निलेश देसाई ने कहा कि निसार उपग्रह में दो रडार मौजूद है. समझौते के मुताबिक एक रडार जो भारत को तैयार करना था, वो SAC में ही तैयार हुआ है. दूसरा रडार कैलिफोर्निया में JPL ने तैयार किया है. अब दोनों रडार के साथ उपग्रह श्री हरिकोटा में प्रक्षेपण के लिए तैयार है. जुलाई महीने के अंत तक निसार उपग्रह का प्रक्षेपण हो जाएगा. जिसके माध्यम से जो लक्ष्य निर्धारित किया गया है, उस दिशा में अगले 1 से 3 महीने में भारत और अमेरिका को डेटा मिलना शुरू होगा.

अहमदाबाद स्थित SAC यानी स्पेस एप्लीकेशन सेंटर के डायरेक्टर डॉक्टर निलेश देसाई ने कहा कि भारत ने 12 साल की महेनत के बाद अपना पहला ऐक्टिव रडार 2012 में लांच किया था, जिसने 4.5 साल तक कार्य किया. भारत की इस सफलता के बाद NASA और JPL भारत आए और ISRO और SAC के साथ साझेदारी के तहत मिशन की बातचीत शुरू करके कहा था कि उनके पास नई रडार की तकनीक है. उस समय भारत का रडार सार यानी सिंथेटिक एपर्चर रडार तकनीक पर आधारित था लेकिन NASA के पास तब आधुनिक स्वीप सिंथेटिक एपर्चर रडार तकनीक थी और उसका पेटेंट उनके पास था. रडार में अच्छा रेजोल्यूशन और कवरेज दोनों एक साथ नहीं मिलता लेकिन इसके समाधान के रूप में NASA के पास स्वीप सिंथेटिक एपर्चर रडार तकनीक मौजूद थी.
  
लॉन्चिंग के बाद क्या होगा?
SAC के डायरेक्टर डॉक्टर निलेश देसाई ने कहा कि निसार उपग्रह लांच होने के बाद भ्रमण कक्षा में पहले सोलार पैनल डिप्लॉय होगा. फिर एंटेना डिप्लॉय होगा और उसका परीक्षण होगा. निसार उपग्रह भारत में दो बार सुबह और दो बार रात के समय दिखेगा, इसके अलावा पृथ्वी के अन्य हिस्सों पर परिभ्रमण करता रहेगा. एंटेना के कैलिब्रेशन के बाद रडार इंस्ट्रूमेंट L और S बैंड का कैलिब्रेशन JPL और SAC के वैज्ञानिक मिलकर ऑर्बिट में करेंगे. प्रक्षेपण के 1 से 3 महीने में इस रडार को ऑपरेशनल होने की घोषणा होगी और डेटा पृथ्वी पर मिलना शुरू होगा. इस उपग्रह से भारत और अमेरिका में अभ्यास के लिए डेटा उपलब्ध होगा, इसके बाद विश्वभर के वैज्ञानिकों को भी डेटा उपलब्ध करवाया जाएगा.

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