Eco-Friendly Plastic: जापान के साइंटिस्ट्स ने बैक्टीरिया से बनाया इको-फ्रेंडली प्लास्टिक

PDCA की सबसे खास बात यह है कि यह बायोडिग्रेडेबल है और इसमें नाइट्रोजन आधारित संरचना होती है, जो इसे पर्यावरण के लिए ज्यादा सुरक्षित बनाती है.

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gnttv.com
  • नई दिल्ली ,
  • 19 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 12:52 PM IST

प्लास्टिक आज हमारे जीवन का अहम हिस्सा बन चुका है. पानी की बोतलें, पैकिंग सामग्री, बैग और ऐसी असंख्य वस्तुएं, इसके बिना अधूरी लगती हैं. लेकिन यही प्लास्टिक पर्यावरण के लिए सबसे बड़ा खतरा भी है. इसका उत्पादन न सिर्फ ऊर्जा-गहन है, बल्कि यह धरती पर कचरे और प्रदूषण का अंबार भी बढ़ा देता है. ऐसे में, जापान की कोबे यूनिवर्सिटी (Kobe University) के वैज्ञानिकों ने एक नई उम्मीद जगाई है.

बैक्टीरिया से बनी नई सामग्री
रिसर्चर्स ने एक नई सामग्री विकसित की है जिसे पाइरिडीनडाईकार्बॉक्सिलिक एसिड (Pyridinedicarboxylic acid - PDCA) कहा जाता है. यह पूरी तरह से प्लास्टिक का विकल्प नहीं है, लेकिन इसे पारंपरिक PET प्लास्टिक में इस्तेमाल होने वाले हानिकारक रसायन टेरेफ्थेलिक एसिड की जगह लिया जा सकता है. PDCA की सबसे खास बात यह है कि यह बायोडिग्रेडेबल है और इसमें नाइट्रोजन आधारित संरचना होती है, जो इसे पर्यावरण के लिए ज्यादा सुरक्षित बनाती है.

पुरानी चुनौतियां और नई सफलता
पहले जब PDCA बनाने की कोशिश की गई, तो उत्पादन बहुत कम होता था और टॉक्सिक बाय-प्रोडक्ट्स निकलते थे. लेकिन जापानी टीम ने Escherichia coli (E. coli) बैक्टीरिया को संशोधित कर इस समस्या का हल ढूंढ निकाला. उन्होंने बैक्टीरिया को ग्लूकोज खिलाया और कुछ विशेष एंजाइम जोड़े. परिणामस्वरूप उत्पादन सात गुना ज्यादा हो गया और टॉक्सिक बाय-प्रोडक्ट्स भी लगभग न के बराबर हो गया.

टीम के प्रमुख बायोइंजीनियर तनाका त्सुतोमु का कहना है उन्होंने कोशिकीय मेटाबॉलिज़्म का इस्तेमाल कर नाइट्रोजन को एसीमिलेट करने और नए कंपाउंड को साफ तरीके से बनाने पर ध्यान दिया.  हालांकि, बड़े स्केल पर उत्पादन में कई तरह की चुनौतियां सामने आ सकती हैं. 

फिर भी, यह रिसर्च पर्यावरण-अनुकूल प्लास्टिक बनाने की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि है. विशेषज्ञ मानते हैं कि यह तरीका भविष्य में पेट्रोलियम-आधारित प्लास्टिक पर हमारी निर्भरता कम करेगा और प्लास्टिक प्रदूषण संकट के समाधान में अहम भूमिका निभा सकता है. यह शोध प्रतिष्ठित जर्नल- Metabolic Engineering में प्रकाशित हुआ है.

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