हम सभी ने शहरों की भीड़-भाड़ और धुएं से मुक्त होकर, किसी हरे-भरे खेत में एक नया जीवन शुरू करने का सपना देखा है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि अगर आप यह कदम उठाएं तो आपकी उम्र कम से कम दो-ढाई साल बढ़ सकती है.
नॉर्थवेस्टर्न वैज्ञानिकों की एक स्टडी में पाया गया है कि जो लोग पार्क और पौधों से समृद्ध क्षेत्रों जैसी हरी-भरी जगहों के पास रहते थे, उनकी उम्र धीमे बढ़ती है. इसका मतलब है कि आप अपनी उम्र से छोटे लगते हैं और ज्यादा एक्टिव रहते हैं. कम हरियाली के पास रहने वाले लोगों की तुलना में ये लोग बायोलॉजिकली 2.5 साल छोटे हो जाते हैं.
कम होगी एपिजेनेटिक उम्र
आप सभी ऐसे लोगों से मिले होंगे जो अपनी वास्तविक उम्र से कम या ज्यादा उम्र के लगते हैं. यह काफी हद तक उनकी एपिजेनेटिक उम्र पर निर्भर है, जो अर्थ ईयर्स में उनकी उम्र से काफी अलग हो सकती है. हमारी क्रोनोलॉजिकल उम्र पूरी तरह से हमारी बर्थडेट पर आधारित होती है. लेकिन हमारी एपिजेनेटिक आयु इस बात का अधिक संकेत देती है कि हमारे शरीर की सेल्स वास्तव में कैसी हैं. डाइट, नींद, एक्सरसाइज, धूम्रपान और यहां तक कि हमारे पर्यावरण जैसे कारकों के कारण इस "बायोलॉजिकल एज" में तेजी आ सकती है.
कुल मिलाकर, अध्ययन से पता चला कि हमारे शरीर की उम्र बढ़ने की प्रक्रिया के लिए अनुकूल वातावरण कितना महत्वपूर्ण हो सकता है. जाति, लिंग और सामाजिक आर्थिक स्थिति जैसे कारक भी निश्चित रूप से इस संबंध में बहुत कुछ कहते हैं. स्टडी में पता डला कि जो लोग लंबे समय तक (20 वर्ष से ज्यादा) हरियाली वाली जगहों पर थे, वे ज्यादा स्वस्थ थे.
उम्र के साथ बढ़ती हैं बीमारियां
उम्र के साथ कई स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों का रिस्क और शुरुआत बढ़ती है, जिनमें दिल से संबंधित बीमारियां, कैंसर और कोग्निटिव फंक्शन शामिल हैं. तेजी से शहरीकरण के बढ़ने से हरियाली का नुकसान होता है. भारत के महानगर ऐसे दुखद विकास का एक प्रमुख उदाहरण हैं. सतत विकास और अगली पीढ़ी की सुरक्षा के लिए, हमें हरियाली वाली जगहों में निवेश करना चाहिए. इस रिसर्च को साइंस एडवांसेज में प्रकाशित किया गया है.