सर्दियों में आ सकती है कोरोना महामारी की नई लहर, इन देशों में तेजी से बढ़ रहे केस

शोधकर्ताओं ने सर्दियों में कोरोना महामारी की नई लहर आने का अनुमान लगाया है. दरअसल अमेरिका और यूरोपीय देशों में पिछले कुछ महीनों में कोरोना के मामलों में तेजी आयी है. जिसे देखते हुए वैज्ञानिकों ने नई लहर आने का अनुमान लगाया है.

Corona Virus
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 04 अक्टूबर 2022,
  • अपडेटेड 11:30 PM IST
  • अमेरिकी और यूरोपीय देशों में बढ़ रही कोरोना मामलें

नेचर में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार शोधकर्ताओं ने कोरोना महामारी की नई शीतकालीन लहर आने की चेतावनी दी है. कोविड-19 की नई लहर उत्तरी गोलार्ध में आने की चेतावनी दी गई है. ये कोविड-19 की ये लहर उत्तरी गोलार्ध इस शरद ऋतु और सर्दियों में आने का अनुमान लगाया गया है. कोरोना महामारी की नई लहर आने को लेकर शोधकर्ताओं ने चिंता जताई है. 

इन देशों में बढ़े है कोरोना के मामले
वैज्ञानिकों का मानना ​​है कि SARS-COV-2 ओमीक्रोन वेरिएंट बार-बार अपने-आप को विकसित कर रहा है. इसके साथ ही वह अपना नेचर, बिहेवियर में समय के साथ बदलाव कर रहा है. जिसे देखते हुए वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया है कि कई देश जल्द ही बड़ी संख्या में COVID-19 संक्रमण की लहर आ सकती है. अमेरिका के कुछ राज्यों में फिर से कोरोना के केस बढ़ते दिख रहे है. वहीं यूनाइटेड किंगडम में, SARS-COV-2 से संक्रमित मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी देखने को मिली है. इसके साथ ही अन्य यूरोपीय देशों में भी कोरोना मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी देखने को मिली है. 

अमेरिका और यूरोपीय देशों बढ़ रहा तेजी से
अमेरिका और यूरोपीय देशों में तेजी से बढ़ रहे कोरोना के मामलों को देखते हुए वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया है कि ये केस अंतरराष्ट्रीय यात्रा पर प्रतिबंधों को उठाने के बाद लोगों की आबादी और अंतर-मिशन के बीच प्रतिरक्षा को कम करने के कारण है. इसके साथ ही उनका यह भी अनुमान है कि सर्दियों में वायरस का प्रसार तेजी से होता है. जिसके चलते कोरोना के मामलों में तेजी आ रही है. 

देश पर क्या पड़ेगा प्रभाव
वैज्ञानिकों के अनुसार सर्दियों में कोरोना वायरस की लहर आने की संभावना को देखते हुए इसकी बारीकी से निगरानी की जा रही है. भारत में Ba.2.75 वेरिएंट का एक उप-वेरिएंट-अंतिम लहर के लिए जिम्मेदार हो सकता है. इसके साथ ही कोरोना महामारी को बढ़ाने वाले दूसरे वेरिएंट के बारे में पता लगाया जा रहा है. पिछले महीने पुणे में हुए एक अध्ययन में पता चला है कि Ba.2.75.2 नामक एक उप-वेरिएंट सबसे कॉमन मिला है. 

 

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