अगर कोई आपसे कहे कि लोग अपनी टांगें जानबूझकर तुड़वाते हैं ताकि लंबाई बढ़ाई जा सके, तो यह काफी अजीब लगेगा. लेकिन यह हकीकत है. लिंब-लेंथनिंग सर्जरी (Limb Lengthening Surgery) जिसे शुरू में गंभीर चोट या पैरों में किसी तरह की विकृति को सुधारने के लिए विकसित किया गया था. आज लोग उसको कॉस्मेटिक कारणों से करवा रहे हैं.
तकनीक कैसे काम करती है?
इस प्रक्रिया को डिस्ट्रैक्शन ऑस्टियोजेनेसिस (Distraction Osteogenesis) कहा जाता है. इसका सबसे पुराना और मशहूर तरीका इलिज़ारोव मेथड था. जो सोवियत संघ में विकसित हुआ. इसमें डॉक्टर जांघ की हड्डी (Femur) या पिंडली की हड्डी (Tibia) को जानबूझकर तोड़ते हैं और उसमें बाहरी फ्रेम या आंतरिक टेलिस्कोपिक रॉड्स डालते हैं.
इन उपकरणों को फिर धीरे-धीरे एडजस्ट किया जाता है, जिससे हड्डी के बीच गैप बन जाता है. धीरे-धीरे इस गैप में नए बोन टिश्यू आते हैं. जिससे आपकी हड्डी थोड़ी लंबी हो जाती है. जिससे आप कुछ मिलिमीटर लंबे लगने लगते हैं.
कितनी बढ़ सकती है लंबाई?
इस तकनीक के इस्तेमाल से व्यक्ति की लंबाई दो से छह इंच तक बढ़ सकती है. कई मरीजों का कहना है कि यह बदलाव उनकी जिंदगी पूरी तरह बदल देता है, खासकर उन संस्कृतियों में जहां लंबाई को मर्दानगी, आकर्षण और सफलता से जोड़ा जाता है.
लेकिन इस तकनीक की कीमत और तकलीफ़ दोनों भारी हैं. यह ऑपरेशन आसान नहीं है. रिकवरी महीनों से लेकर सालों तक चल सकती है. ऐसे में मरीजों को तेज़ दर्द, फिजियोथेरेपी, स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज और लंबे समय तक बैसाखी पर निर्भर रहना पड़ता है. आम जटिलताओं में नर्व डैमेज, जॉइंट स्टिफनेस, इन्फेक्शन, ब्लड क्लॉट, हड्डी का न जुड़ना और स्थायी विकलांगता तक शामिल हैं.
खर्च की बात करें तो अमेरिका में यह सर्जरी $2.5 लाख (₹2 करोड़ से ज्यादा) तक में की जाती है. तुर्की जैसे देश कम खर्चीले विकल्प के रूप में उभर रहे हैं, लेकिन वहां भी यह लाखों रुपये तक जाती है.
क्या कहते हैं डॉक्टर
कई डॉक्टरों का मानना है कि इस सर्जरी को लेकर नैतिक चिंताएं गंभीर हैं. कुछ क्लीनिक लंबे समय तक चलने वाले आफ्टरकेयर को नजरअंदाज कर देते हैं. कई बार जोखिमों को मरीजों से छिपाया जाता है. ऐसे में बेशक यह तकनीक फायदेमंद हो लेकिन जोखिम से भरी है.