जब भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्रला ISS पहुंचे, उन्हें मिला “ऑर्बिटल एस्ट्रोनॉट नंबर 634”- मतलब वे पूरे 634वें इंसान थे जो पृथ्वी की ऑर्बिट में घूमे! लेकिन आखिर क्यों हर अंतरिक्ष यात्री को ये यूनिक आइडेंटिटी नंबर दिया जाता है?
Association of Space Explorers (ASE) नामक अंतरराष्ट्रीय संगठन ने 2015 में एक यूनिवर्सल इंसिग्निया पेश किया- एक सोने का पिन जिसमें पैरों पर तारे और गोलाकार बैंड होता है. इस पिन को सबको दिया जाता है- चाहे आप सिर्फ सब-ऑर्बिटल उड़ान में गए हों (जैसे Blue Origin) या ऑर्बिटल मिशन में (जैसे ISS तक). सब-ऑर्बिटल पिन सितारों वाले होते हैं लेकिन इसमें गोलाकार बैंड नहीं होता. वहीं, ऑर्बिटल पिन में सितारे और गोलाकार बैंड होता है.
और हर नए अंतरिक्ष यात्री, जैसा कि शुभांशु को मिला 634, उसे Sahara की तरह रैंक दिया जाता है- पहला से लेकर आखिरी तक, हर एक का एक नंबर होता है.
क्यों जरूरी है ये नंबर? ये पहचान क्यों खास है?
ये नंबर बताता है कि पूरे मानव इतिहास में आप कितनेवें इंसान हैं जो अंतरिक्ष के उस अनदेखे सफर पर गए हैं. राकेश शर्मा को मिला नंबर 138, कल्पना चावला को 366, और शुभांशु को 634. चाहे आप रूस, भारत, अमेरिका या किसी निजी संस्था के हों- यह पिन सभी को एक सामान पहचान देता है.
साथ ही, ASE Registry of Space Travelers के अनुसार यह एक ग्लोबल रिकॉर्ड का दस्तावेज है, इससे लोगों को ट्रैक करना आसान हो जाता है.
अंतरिक्ष स्टेशन में नंबरिंग केवल astronauts तक सीमित क्यों नहीं?
ISS पर भेजने वाले मिशन का नामकरण भी उतना ही रोचक है, जितना कि उनके यात्रियों के नंबर. यहां दो लेवल की नंबरिंग होती है:
1. एक्सपीडिशन नंबर: यह बताता है किस टीम ने कब कार्यभार संभाला. जैसे Expedition-30, 31... दो टीमों का overlap होता है, जो ISS पर कम होते हैं, और नए आते हैं.
2. Soyuz/TMA मिशन नंबर: जैसे Soyuz TMA-03M, जिसका कोड होता है और साथ में call-sign भी होता है जैसे “Antares”.
ये सब उलझा हुआ लगता था, पर इसके पीछे जो उद्देश्य है- वह है स्पष्टता और लॉजिस्टिक की सुविधा. हर मिशन और अंतरिक्ष यात्री की पहचान एक यूनिक तरीके से होती है.
क्या हर एजेंसी देती है ये नंबर?
International Astronaut Numbering System चलाने वाली ASE प्रत्येक अंतरिक्ष यात्री को यूनिवर्सल नंबर और पिन देती है. ये रिकॉर्ड दुनिया भर के लोग देख सकते हैं. वहीं, NASA ने 1961 से अपनी पिन सिस्टम शुरू की थी. Mercury 7 astronauts से Silver training pin और Gold flown pin मिलते हैं.