मशहूर साहित्यकार कमलेश ने कहा था. इन बंद कमरों में मेरी सांस घुटी जाती है. खिड़कियां खोलता हूं तो ज़हरीली हवा आती है. कुछ ऐसी ही हालत इस वक्त दिल्ली-NCR की है. सवाल ये है कि पॉल्यूशन का सॉल्यूशन क्या है. क्योंकि, शासन और प्रशासन की ओर से तमाम कोशिशें की जा रही हैं. लेकिन प्रदूषण कम होने का नाम नहीं ले रहा.