प्राचीन काल में बाउल समुदाय के लोग घुमक्कड़ी कर गाने बजाने में लीन रहते थे. ये लोग मूलतः गेरुआ कुर्ता और सफ़ेद धोती धारण करते थे. इनके वाध्य यंत्र साधारणतौर पर एकतारा या दोतारा, घुंगरू करताल होते थे जो आज भी क़ायम हैं. मशहूर बाउल गायक बासुदेव बाउल कहते हैं कि जीवन को सरल तरीक़े से जीने और ईश्वर की साधना में तल्लीन होकर जो गीत निकलता है और जो आनंद मिलता है वही बाउल है.
Famous Baul singer Basudev Baul says that the song that emerges and the joy one gets by living life in a simple way and getting engrossed in the worship of God is Baul.