इस वीडियो में पंडित शैलेंद्र पांडेय तुलसी का पौराणिक इतिहास और महत्व के बारे में बता रहे हैं. पंडित शैलेंद्र पांडेय के अनुसार सनातन परंपरा ने जड़ और चेतन सब में ईश्वर की भावना की है. नदियाँ,पहाड़,पत्थर यहाँ तक कि पेड़ पौधों में भी ईश्वर और देवी देवताओं का वास माना है. पौधों में देवियों और देवताओं का वास इसलिए कहा जाता है क्योंकि उनके अन्दर नकारात्मक ऊर्जा नष्ट करने की क्षमता होती है. तुलसी का पौधा भी इनमे से एक है,इसमें औषधीय के साथ साथ दैवीय गुण भी पाए जाते हैं. पुराणों में तुलसी को भगवान विष्णु की पत्नी कहा गया है. भगवान विष्णु ने छल से इनका वरण किया था इसलिए उनको पत्थर हो जाने का श्राप मिला और तभी से भगवान विष्णु शालिग्राम के रूप में पूजे जाने लगे. शालिग्राम रुपी भगवान विष्णु की पूजा बिना तुलसी के हो ही नहीं सकती.
Pandit Shailendra Pandey is telling about mythological history and importance of Tulsi. According to Pandit Shailendra Pandey, the Sanatan tradition has inculcated the feeling of God in everything that is inert and conscious. Rivers, mountains, stones and even trees and plants are believed to be the abode of Gods and Goddesses.