बिहार के पश्चिमी चंपारण के बगहा इलाके में थारू जनजाति समुदाय ने एक अनूठी मिसाल पेश की है, जहां आजादी के बाद से दहेज का एक भी मामला दर्ज नहीं हुआ है। गोबरिया थाने के अंतर्गत आने वाले 19 गांवों की लगभग 30,000 की आबादी दहेज को एक सामाजिक पाप मानती है और इस परंपरा का सख्ती से पालन करती है। एक स्थानीय निवासी के अनुसार, 'दहेज लेना और देना मतलब हम लोग गुनाह समझते हैं।' इस समुदाय की मान्यता है कि शादी एक पवित्र बंधन है, कोई व्यापार नहीं। इसी सोच के चलते यहां के थाने का रिकॉर्ड पिछले 77 सालों से दहेज के मामलों में शून्य है। यह उस बिहार राज्य में एक सकारात्मक कहानी है, जहां 2023 में 3,665 दहेज उत्पीड़न के मामले दर्ज किए गए थे। थारू समाज में दहेज मांगने या देने पर व्यक्ति को बिरादरी से बाहर कर दिया जाता है, जिस कारण यह कुप्रथा यहां जड़ नहीं जमा पाई है।