शंख हिंदू धर्म में आस्था और ऊर्जा का प्रतीक है, जिसकी ध्वनि से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और सकारात्मकता फैलती है. पूजा-पाठ और शुभ अवसरों पर शंख बजाना मंगलकारी माना जाता है. शंख बजाने से कान, फेफड़े और सांस में मजबूती आती है, तनाव कम होता है और ध्यान में एकाग्रता बढ़ती है. आयुर्वेद में भी इसके कई फायदे बताए गए हैं, जैसे शरीर के निचले हिस्से को लाभ, मांसपेशियों की एक्सरसाइज और त्वचा संबंधी समस्याओं का समाधान. रात भर शंख को पानी में रखने से खुजली, एलर्जी और सफेद दाग जैसी समस्याएं खत्म होती हैं. हाल ही में दो अंतरराष्ट्रीय रिसर्च ने शंख बजाने के वैज्ञानिक महत्व को साबित किया है. रिसर्च में पाया गया कि रोजाना शंख बजाना ऑब्स्ट्रक्टिव स्लीप एप्निया या नींद न आने की गंभीर बीमारी में असरदार हो सकता है. जयपुर में हुए एक अध्ययन में 40 से 65 साल के 70 मरीजों को शामिल किया गया. उन्हें रोजाना 5-10 मिनट शंख बजाने की सलाह दी गई. छह महीने बाद खर्राटे कम हुए, नींद में सांस रुकने की समस्या घटी और 34% तक सुधार दर्ज किया गया. विशेषज्ञों का मानना है कि शंख बजाने से सांस की नलियों को मजबूती मिलती है और यह नींद से जुड़ी परेशानियों को कम कर सकता है. हालांकि, एक विशेषज्ञ ने यह भी कहा कि शंख बजाना सीधे स्लीप एप्निया का इलाज नहीं है, बल्कि यह फेफड़ों की क्षमता बढ़ाने और मांसपेशियों को मजबूत करने में सहायक है. शंख बजाने से गले और तालू की मांसपेशियां मजबूत होती हैं, जिससे नींद में रुक-रुक कर सांस लेने की समस्या घटती है. यह तरीका सस्ता, आसान और बिना किसी साइड इफेक्ट के है.