महाराष्ट्र के 19 वर्षीय वैदिक छात्र Devavrat Mahesh Rekhe ने काशी में इतिहास रच दिया है. उन्होंने शुक्ल यजुर्वेद की माध्यन्दिन शाखा के 2000 मंत्रों का 'दंडक्रम पारायण' 50 दिनों में पूर्ण कर 'वेद मूर्ति' की उपाधि हासिल की है. यह उपलब्धि 200 साल बाद किसी विद्वान ने हासिल की है. इससे पहले नासिक के नारायण शास्त्री ने यह कारनामा किया था. देवव्रत ने अपनी इस कठिन साधना के दौरान हर मंत्र को 1111 अलग-अलग क्रमों में सीधा और उल्टा कंठस्थ सुनाया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनकी इस उपलब्धि पर गर्व जताते हुए इसे आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बताया है, वहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वाराणसी में उनका सम्मान किया. देवव्रत के पिता महेश चंद्रकांत रेखे ही उनके पहले गुरु हैं.