भारत अपनी स्वतंत्रता की वर्षगांठ मना रहा है, जो शून्य से शिखर तक की यात्रा का प्रतीक है. इस अवसर पर मातृभूमि की रक्षा में प्राण न्यौछावर करने वाले सैनिकों के बलिदान को याद किया गया. कवियों ने अपनी रचनाओं से देश के शौर्य का वर्णन किया, जिसमें 'ऑपरेशन सिंदूर' और 13 राफेल विमानों के योगदान का उल्लेख है. कार्यक्रम में राष्ट्रीय एकता, अखंडता और स्वदेशी अपनाने पर जोर दिया गया. साथ ही, स्वतंत्रता के 78 वर्ष बाद भी बेटियों की सुरक्षा और न्याय में देरी पर चिंता व्यक्त की गई. मणिपुर और कलकत्ता की घटनाओं का जिक्र करते हुए सामाजिक बुराइयों पर भी ध्यान केंद्रित किया गया. 2047 तक आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य और सुभाष चंद्र बोस के सपनों के भारत को साकार करने का संकल्प लिया गया.