भारत की ड्रोन शक्ति पर केंद्रित इस रिपोर्ट में बताया गया है कि कैसे ड्रोन युद्ध में निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं. भारतीय सेना भविष्य की चुनौतियों के लिए अदृश्य सिपाहियों को तैयार कर रही है. मई में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान मेड इन इंडिया ड्रोन्स की क्षमता का प्रदर्शन हुआ. इसमें कामिकेज ड्रोन ने शत्रु के ठिकानों पर निशाना साधा. यह ड्रोन 140 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ता है और 500 ग्राम तक विस्फोटक ले जा सकता है. ऑपरेशन महादेव में सर्विलांस के लिए हॉक ड्रोन का इस्तेमाल हुआ, जो दुश्मन की गतिविधियों पर नजर रखता है. हॉक ड्रोन पूरी तरह स्वदेशी है और इसे हैक नहीं किया जा सकता. प्रधानमंत्री ने भी भारतीय स्टार्टअप्स द्वारा ड्रोन निर्माण की सराहना की है. भारत अब रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है और कई देश भारतीय ड्रोन्स खरीदने में रुचि दिखा रहे हैं. शास्त्रों में कहा गया है, 'सस्त्रेण रक्षित राष्ट्र सस्तेण रक्षित राष्ट्रीय शास्त्र चर्चा प्रवर्तते' जिसका अर्थ है कि जब राष्ट्र शस्त्र से सुरक्षित होते हैं, तभी ज्ञान की चर्चाएं जन्म लेती हैं.