पूरे देश में भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव की तैयारियां की गईं. मथुरा की जन्मभूमि में कान्हा के आगमन का इंतजार था, जहां लाखों श्रद्धालु ब्रज में जुटे. मध्यरात्रि ठीक 12 बजे शुभ मुहूर्त में भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ. उनके विग्रह का अभिषेक किया गया और मंगल आरती की गई. कमल के पुष्पों से सहस्त्रार्चन की परंपरा निभाई गई. कामधेनु गाय के दुग्ध से भी अभिषेक किया गया. दिल्ली के इस्कॉन मंदिरों और नोएडा के मंदिरों में भी भक्त उमड़ पड़े. हरे रामा हरे कृष्णा की धुन सुनाई दी और भक्त भाव विभोर होकर नृत्य करते रहे. "नन्द के आनंद भयो जय कन्हैयालाल की" के जयघोष के साथ कान्हा के आगमन का स्वागत किया गया. लड्डू गोपाल को झूले में झुलाने की परंपरा भी निभाई गई. जन्माष्टमी के पावन अवसर पर मथुरा और द्वारका में भगवान कृष्ण का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया गया. मध्यरात्रि ठीक 12:00 बजे रजत कमल पुष्प में से भगवान का प्राकट्य हुआ.