साहित्य आजतक 2025 के मंच पर, वक्ता और लेखक प्रेम रावत ने आंतरिक शांति, खुशी और आत्म-अनुभव पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने बताया कि आंतरिक शांति मनुष्य का जन्मसिद्ध अधिकार है और सच्ची खुशी बाहरी वस्तुओं या लोगों से नहीं, बल्कि व्यक्ति के भीतर से ही आती है.