बरसाना में राधा अष्टमी का उत्सव धूमधाम से मनाया जा रहा है. इस वर्ष राधा रानी का 5253वां जन्मोत्सव है. भाद्रपद शुक्ल पक्ष की अष्टमी को भगवान श्रीकृष्ण के जन्मदिन के 15 दिन बाद राधा रानी का जन्मोत्सव मनाया जाता है. बरसाना के ब्रह्मांचल पर्वत पर स्थित राधा रानी मंदिर में प्रमुख आयोजन हो रहा है. सुबह 4 बजे से 1 घंटे तक राधा रानी का विशेष महाभिषेक किया गया, जिसमें 27 कुओं से लाए गए जल और 11 क्विंटल पंचामृत का उपयोग हुआ. बरसाना को आकर्षक लाइटिंग और 51 भव्य द्वारों से सजाया गया है. लाखों श्रद्धालु इस उत्सव में भाग लेने के लिए बरसाना, मथुरा और वृंदावन पहुंचे हैं. श्री कृष्ण जन्म स्थान पर भी राधा रानी का जन्मोत्सव दिव्य और भव्य तरीके से मनाया गया. शास्त्रों के अनुसार, श्री कृष्ण और राधा में कोई अंतर नहीं है. श्री कृष्ण कहते हैं, "अहम् सर्वस्य प्रभो मत्त सर्वम प्रवर्तते इति मतवा भजनते माँ बुद्धा भाव समन्वितः". राधा को श्री कृष्ण की अहलादिनी शक्ति माना जाता है. राधा अष्टमी का व्रत जन्माष्टमी की पूजा का पूर्ण फल प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है. इस दिन राधा रानी के चरणों के दर्शन होते हैं.