भाद्रपद मास की अमावस्या तिथि और शनिवार के संयोग को शनि अमावस्या पर्व के रूप में मनाया जाता है, जो हिंदू पंचांग के अनुसार साल की आखिरी शनि अमावस्या है. इस दिन शनि देव की पूजा, साढ़ेसाती और ढैया से मुक्ति, पितृ तर्पण, पितृ दोष और कालसर्प योग निवारण के लिए विशेष महत्व है. भक्त देशभर की पवित्र नदियों में स्नान, शनि मंदिरों में पूजा, हनुमान जी और भगवान शिव की आराधना करते हैं. अयोध्या में राजा दशरथ के समाधि स्थल पर दर्शन पूजन का महत्व है. दशरथ द्वारा रचित शनि स्तोत्र का पाठ शनि पीड़ा से बचाव का उपाय माना जाता है. दान, व्रत, कर्मों पर ध्यान और बड़ों का सम्मान भी शनिदेव को प्रसन्न करने के उपाय हैं.