सावन का महीना आते ही वातावरण में श्रद्धा और भक्ति का संचार होता है। सावन की शिवरात्रि का विशेष महत्व है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, सावन की शिवरात्रि पर ही भगवान शिव ने हलाहल का पान किया था, जिससे उनका कंठ नीला पड़ गया। देवताओं ने विष के प्रभाव को कम करने के लिए भगवान शिव का अभिषेक किया। अभिषेक से भगवान भोले प्रसन्न हुए और तभी से शिव अभिषेक की परंपरा आरंभ हुई.