कृष्ण का अर्थ सृष्टि को आकर्षित करने वाला भी होता है और नाम के अनुरूप ही उन्होंने सारी सृष्टि को आकर्षित किया. वे अलग अलग स्वरूपों में भक्तों के निकट गए और उनकी मनोकामनाएं पूर्ण की इन सब स्वरूपों में उनका मित्र का स्वरुप सबसे ज्यादा निकट माना और समझा गया. मित्रता के लिए ईमानदारी आवश्यक है, अतः कृष्ण को मित्र बनाने के लिए ईमानदार बनें. अपनी सारी समस्याएँ , दुःख सुख ,उनसे मित्र की तरह कहें इसके बाद अंतरात्मा में उसका जो भी समाधान मिले , उसे स्वीकार करें. अपनी मित्रता का दुरूपयोग न करें.