नवदुर्गा के छठे स्वरूप माता कात्यायनी की पूजा अशविन शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को की जाती है. माता कात्यायनी का प्राकट्य कात्यायन ऋषि के घर हुआ था, इसलिए इन्हें कात्यायनी कहा जाता है. इनकी पूजा विवाह संबंधी मामलों के लिए अचूक मानी जाती है. ज्योतिष में बृहस्पति का संबंध माता कात्यायनी से माना जाता है, विशेषकर महिलाओं के विवाह वाले बृहस्पति का. तंत्र साधना में माता कात्यायनी आज्ञा चक्र को नियंत्रित करती हैं.