जीवन में आहार की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। किसी भी जीव की चार मुख्य आवश्यकताओं में आहार सबसे प्रमुख है। आहार से शरीर के निर्माण और विकास की प्रक्रिया पूरी होती है। बिना ऊर्जा के जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती। शरीर का मानसिक स्तर अन्नमय कोष से बनता है, जिसकी शुद्धि के बिना मन की शुद्धि संभव नहीं। आहार से ही कोशिकाओं का निर्माण होता है, जिससे रस और हार्मोन निकलते हैं, जो सोच और विकास को प्रभावित करते हैं। जैसा खाओगे अन्न, वैसा होगा मन। यह दर्शाता है कि आहार विचारों और सोच को प्रभावित करता है.