शरद पूर्णिमा का पर्व सनातन परंपरा में विशेष महत्व रखता है, जो वर्ष में एक बार आता है. इस दिन चंद्रमा अपनी सभी 16 कलाओं से पूर्ण होता है और उसकी किरणों में अमृत के गुण समाहित होते हैं. मान्यता है कि इस रात्रि को चंद्रमा की चांदनी में ऊर्जा होती है जो शरीर और मन को संतुलित करती है. आयुर्वेद के अनुसार, खुले आसमान के नीचे रखे गए दूध या खीर में औषधीय गुण आ जाते हैं. पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान कृष्ण ने गोपियों के साथ महारास रचाया था और देवी लक्ष्मी धरती पर भ्रमण कर भक्तों को आशीर्वाद देती हैं, जबकि भगवान विष्णु भी विचरण करते हैं. वैज्ञानिक दृष्टि से भी यह तिथि महत्वपूर्ण है क्योंकि चंद्रमा धरती के सबसे नजदीक होता है और अमृत वर्षा करता है.