महादेव रुद्र भी हैं और भोले भी. सच्चे मन से की गई भक्ति से वे बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं. महादेव की कृपा पाने के लिए रावण द्वारा रचित शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करना उत्तम है. इस स्तोत्र का पाठ करने से कई तरह की सिद्धियों की प्राप्ति होती है और तमाम मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं. शिव तांडव स्तोत्र भगवान शिव का प्रिय और अद्भुत स्तोत्र है. इसका पाठ करने से मानसिक शांति और भौतिक उन्नति निश्चित रूप से होती है. यह स्तोत्र अपार शक्ति का अनुभव कराता है और शिव की कृपा दिलाता है. शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करने से आर्थिक संपन्नता प्राप्त होती है और घर की दरिद्रता दूर होती है. महादेव को प्रसन्न करने का यह एक शक्तिशाली उपाय है. जब भी किसी तरह का संकट या पीड़ा हो, शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करने से भगवान शिव की कृपा होती है और समस्त विघ्न बाधाओं से मुक्ति मिलती है. रावण ने अहंकारवश कैलाश पर्वत को उठाने का प्रयास किया, तब भगवान शिव ने अंगूठे से कैलाश को दबा दिया, जिससे रावण का हाथ दब गया. पीड़ा में रावण ने शिव तांडव स्तोत्र की रचना की, जिससे भगवान शिव प्रसन्न हुए और नृत्य करने लगे. यह स्तोत्र सेहत की समस्याओं, शत्रु बाधा, आर्थिक समस्याओं, रोजगार की समस्याओं, विशेष उपलब्धि पाने और ग्रहों की बुरी दशा में लाभदायक होता है. शिव तांडव स्तोत्र का नियमित पाठ आत्मबल में वृद्धि करता है और वाणी की शुद्धि करता है. यह शनि, राहु, केतु के कारण उत्पन्न कठिन परिस्थितियों में भी चमत्कारिक लाभ देता है. शिव तांडव स्तोत्र के पाठ से महादेव अति प्रसन्न होते हैं.