मार्गशीर्ष का पवित्र महीना शुरू हो गया है, जिसे स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने अपना स्वरूप बताया है। भगवद गीता के दसवें अध्याय में भगवान श्रीकृष्ण स्वयं कहते हैं कि 'मासों में मैं मार्ग शीर्ष मास हूँ'। यह महीना जप, तप, ध्यान और साधना के लिए सर्वोत्तम माना जाता है। इस पूरे माह में पवित्र नदियों में स्नान, दान और कीर्तन का विशेष महत्व है। मान्यता है कि इसी महीने भगवान कृष्ण ने अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया था.