जन्माष्टमी का पर्व भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस दिन कान्हा के जन्म की प्रतीक्षा की जाती है। पुराणों में इस व्रत की महिमा का वर्णन है। व्रत करने से जन्म जन्मांतर के पाप नष्ट हो जाते हैं और जीव आवागमन के चक्कर से मुक्त हो जाता है। इस वर्ष जन्माष्टमी 16 अगस्त को मनाई जाएगी। निशिता काल का पूजन 16 अगस्त की रात 12:04 से 12:47 तक रहेगा। भगवान कृष्ण का जन्म वृष लग्न और वृष राशि में हुआ था। इस अवसर पर भगवान के अलग-अलग स्वरूपों की स्थापना की जाती है.