तवांग मठ के भिक्षु लामा येशी खावो ने चीन की विस्तारवादी नीति पर हमला करते हुए कहा है कि उन्हें भारत सरकार और भारतीय सेना पर पूरा भरोसा है. जून 2020 के बाद से चीन ने फिर भारत की सीमा में आने की हिमाकत की. इस बार उसने पूर्वी सेक्टर स्थित अरुणाचल प्रदेश के तवांग में दाखिल होने की कोशिशें की जहां उसे मुंहतोड़ जवाब दिया गया. तवांग, चीन की वो दुखती रग है जो उसे हमेशा तकलीफ देती है. साल 1962 की जंग के बाद से ही तवांग पर चीन की काली नजरें गड़ी हैं. चीन तवांग को अपना हिस्सा मानता है. इसका एक कनेक्शन तवांग-तिब्बत-दलाई लामा और धर्म से जुड़ा है.
Tawang of Arunachal Pradesh is very important strategically. In fact, after leaving Tibet in 1959, the Dalai Lama spent a few days in Tawang. He also established a big Buddhist monastery here. In this context, China considers the occupation of Tawang as a battle of its prestige.