आज के दौर में जहां लोगों के शरीर में बीमारियां घुसती जा रही हैं और युवा आलसी होते जा रहे हैं. वहीं इस दौर में गुजरात के सूरत शहर में एक 82 वर्षीय महिला, बकुला बेन पटेल ऐसी है जिनकी शारीरिक मजबूती को देख कर युवाओं को भी शर्म आ जाएगी. यह बात सुनने में आपको थोड़ी अजीब लग रही होगी मगर यह सच है. तो चलिए हम आपको सूरत की 82 वर्षीय महिला बकुला बेन पटेल से मिलवाते है.
58 की शुरुआत, 554 मेडल लगे हाथ
बकुला बेन पटेल के घर में उनके द्वारा इस उम्र में जीते गए मेडल्स लगे हुए हैं. बकुला बेन पटेल ने 554 मेडल्स कई अलग-अलग देश और दुनियां में जीते हैं. बकुला बेन पटेल ने 58 साल की उम्र से स्विमिंग करने की शुरुआत की थी जो आज भी निरंतर जारी है.
तापी नदी में भी करती हैं स्विमिंग प्रैक्टिस
सूरत महानगर पालिका द्वारा संचालित स्विमिंग पूल में बकुला बेन पटेल स्विमिंग करने जाती हैं और घंटों तक स्विमिंग करती हैं. वे न सिर्फ स्विमिंग पूल में बल्कि सूरत से बहकर गुजरने वाली तापी नदी में घंटों तक स्विमिंग करती रहती है. बकुला बेन पटेल विश्व के 16 देशों में स्विमिंग और एथेलेटिक्स खेल चुकी है. देश विदेश में स्विमिंग और एथेलेटिक्स में 554 मेडल जीते है.
कैसे आया स्विमिंग का विचार
बकुला बेन पटेल ने बताया कि जब उनकी 58 वर्ष थी तब वो अपनी बेटी के बच्चों को स्विमिंग करवाने और स्पोर्ट्स के लिए लेकर जाती थीं. उस समय उनके मन में ऐसा विचार आया कि उन्हें भी कुछ एक्टिविटी करने की जरूरत है. यह सोचकर ही उन्होंने स्विमिंग पूल में तैरना शुरू किया था.
नृत्य की चल रही पढ़ाई
इसके अलावा वह भरतनाट्यम में फिलहाल MA कर रही हैं. यह सब करने से पहले वह एक आम गृहिणी थीं. बकुला बेन पटेल ने छोटी उम्र में ही अपने माता-पिता को खो दिया था और इस वजह से उनकी पढ़ाई रुक गई थी. काफी कमियों के साथ रिश्तदारों के यहां पली थीं इसलिए अपने सपनों को पूरा नहीं कर पाईं थीं.
नाती-पोते जीने का साहारा
1994 में उनके पति का निधन हो गया था और वह इस समय जब वह अकेली हो गईं थी. तो नाती-पोते जीने का सहारा बने थे. बकुला बेन रोज़ अपने पोते और पोती को स्कूल छोड़ने और लेने जाया करती थीं. इसी दौरान दादी ने बच्चों को खेल-खूद में हिस्सा लेते देखा और उनका बचपन का सपना फिर से जाग उठा था. स्वस्थ रहने के लिए वह रोज़ आज भी सुबह 4 बजे से पहले उठ जाती हैं. घर के काम हों या बाहर के काम इस उम्र में भी सबकुछ खुद ही करती हैं. आज वह अपनी दिनचर्या में इतना व्यस्त हैं कि बिलकुल भी अकेला महसूस नहीं करतीं है. बेटियां शादी कर के ससुराल चली गई हैं बेटे शादी कर के अलग रह रहे है.
-संजय सिंह राठौर की रिपोर्ट