Erapalli Prasanna: टेस्ट क्रिकेट में डेब्यू, पिता से वादा पूरा करने के लिए 5 साल तक खेल से बनाई दूरी... इंजीनियरिंग की डिग्री लेकर टीम में लौटे इरापल्ली प्रसन्ना

Erapalli Prasanna Birthday: इरापल्ली प्रसन्ना ने 49 टेस्ट मैच में 189 विकेट हासिल किए. प्रसन्ना ने टेस्ट डेब्यू के बाद 5 साल तक क्रिकेट से दूर रहे. इसके बाद फिर टीम इंडिया में वापसी की और टीम के बेहतरीन गेंदबाज बने.

इरापल्ली प्रसन्ना ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए 5 साल के लिए क्रिकेट छोड़ दिया था (Photo/Twitter)
शशिकांत सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 22 मई 2023,
  • अपडेटेड 8:33 AM IST

ऐसा खिलाड़ी, जिसे एक विदेशी दौरे के लिए टीम इंडिाय में चुन लिया गया था. लेकिन इसके लिए उसे अपने पिता की एक शर्त माननी पड़ी. लेकिन जब वो खिलाड़ी दौरे के बाद वतन लौटा तो उसके पिता का देहांत हो गया था. एक बाद उस खिलाड़ी ने अपने पिता से किया वादा पूरा करने के लिए क्रिकेट छोड़ दिया और जब उसने वादा पूरा कर लिया तो एक बार फिर टीम इंडिया में लौटा. इस खिलाड़ी का नाम इरापल्ली प्रसन्ना था और आज उनका बर्थडे है. जी हां, आज के दिन ही यानी 22 मई 1940 को मैसूर साम्राज्य के बैंगलोर में उनका जन्म हुआ था. चलिए इस खिलाड़ी के बारे में बताते हैं.

साल 1962 में टेस्ट डेब्यू-
इरापल्ली प्रसन्ना ने जनवरी 1962 में इंग्लैंड के खिलाफ मद्रास टेस्ट डेब्यू किया था. इसके बाद इसी साल प्रसन्ना को वेस्टइंडीज दौरे के लिए टीम में चुन लिया गया. लेकिन टीम में चुने जाने से प्रसन्ना के पिता नाराज थे. वो नहीं चाहते थे कि क्रिकेट की वजह से उनके बेटे की पढ़ाई प्रभावित हो. उस समय बीसीसीआई सेक्रेटरी एम चिन्नास्वामी थे, जिन्होंने प्रसन्ना के पिता को मनाया. इसमें उनकी मदद मैसूर के महाराज ने की थी. इसके बाद प्रसन्ना वेस्टइंडीज दौरे पर गए. इस दौरे पर उन्होंने एक टेस्ट में 3 विकेट लिया.

5 साल तक क्रिकेट से दूर हो गए प्रसन्ना-
वेस्टइंडीज दौरे से लौटने के बाद इरापल्ली प्रसन्ना ने क्रिकेट छोड़ दिया. प्रसन्ना 5 साल तक क्रिकेट से दूर रहे. उसके बाद साल 1967 में वो क्रिकेट मैदान पर नजर आए. दरअसल प्रसन्ना ने अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए क्रिकेट छोड़ दिया था. उन्होंने पूरे लगन से पढ़ाई की और इंजीनीयरिंग की डिग्री हासिल की. जब उन्होंने डिग्री हासिल कर ली. उसके बाद वो क्रिकेट मैदान पर वापसी की और इंग्लैंड के खिलाफ शानदार प्रदर्शन किया.

पिता से वादा निभाने के लिए क्रिकेट से बनाई दूरी-
इरापल्ली प्रसन्ना के पिता चाहते थे कि उनका बेटा इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करे. इसी शर्त पर पिता ने इरापल्ली प्रसन्ना को वेस्टइंडीज दौरे पर जाने की इजाजत दी थी. हालांकि जब प्रसन्ना वेस्टइंडीज दौरे से वापस लौटे तो उनके पिता का देहांत हो चुका था. इसलिए प्रसन्ना ने अपने पिता से किया वादा पूरा करने के लिए क्रिकेट छोड़ दिया और पढ़ाई पर फोकस किया. जब प्रसन्ना को इंजीनियरिंग की डिग्री मिल गई तो उसके बाद आईटीआई में उनकी 300 रुपए महीने की नौकरी लग गई. हालांकि इसके बाद उन्होंने क्रिकेट मैदान पर शानदार प्रदर्शन किया और खूब नाम कमाया.

17 साल तक खेलने के बाद लिया संन्यास-
प्रसन्ना ने 17 साल तक टीम इंडिया के साथ जुड़े रहे. उसके बाद उन्होंने क्रिकेट से संन्यास ले लिया. उन्होंने अपना आखिरी टेस्ट मैच पाकिस्तान के खिलाफ 27 अक्टूबर 1978 को खेला था. प्रसन्ना ने सबसे तेज 100 विकेट लेने का रिकॉर्ड बनाया था. उन्होंने ये कारनामा 20 टेस्ट में किया था. उनका ये रिकॉर्ड रविचंद्रन अश्विन ने तोड़ा था. प्रसन्ना ने 49 टेस्ट मैच खेले और 189 विकेट हासिल किया. इस दौरान उन्होंने एक पारी में 10 बार 5 विकेट लिये. इसके अलावा 2 बार एक मैच में 10 विकेट हासिल किए. प्रसन्ना ने टेस्ट करियर में 735 रन बनाए.
घरेलू क्रिकेट में भी प्रसन्ना ने शानदार प्रदर्शन किया. उन्होंने दो बार कर्नाटक को रणजी चैंपियन बनाया. उनकी टीम ने रणजी ट्रॉफी में 15 साल से चले आ रहे मुंबई के दबदबे को खत्म किया. उन्होंने फर्स्ट क्लास क्रिकेट में 235 मैच खेले और 957 विकेट लिए.

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