9 साल की उम्र में शुरू किया निशानेबाजी का सफ़र, अब देश को दोबारा दिलाया गोल्ड

तेलंगाना में पैदा हुई ईशा ने जब शूटिंग की शुरूआत की थी तब उनके घर के आसपास कोई शूटिंग रेंज नहीं था. इस वजह से ईशा को ट्रेनिंग लेने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा. ट्रेनिंग के लिए ईशा 1 घंटे की दूरी पर गाचीबॉली स्टेडियम में जा कर ट्रेनिंग लिया करती थी. ईशा ने अपने पैशन के साथ अपनी पढ़ाई भी जारी रखी.

ईशा सिंह
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 07 मार्च 2022,
  • अपडेटेड 1:18 PM IST

मिस्र के काहिरा में आयोजित ISSF वर्ल्ड कप 2022 के आखिरी दिन से पहले महिलाओं की 25 मीटर पिस्टल टीम स्वर्ण पदक के मुकाबले में पहुंची. भारत ने सिंगापुर को 17-13 से हराकर इस टूर्नामेंट का तीसरा स्वर्ण पदक जीता. राही सरनोबत, ईशा सिंह और रिदम सांगवान ने शिउ होंग, शुन शी और लिंग चियाओ निकोल टैन की सिंगापुर की तिकड़ी के साथ दूसरे क्वालीफिकेशन में टॉप पर रहने के बाद शनिवार को खिताबी राउंड में जगह बनाई थी. यह ईशा सिंह का दूसरा स्वर्ण और वर्ल्ड कप का तीसरा पदक था.  इससे पहले ईशा ने महिलाओं की 10 मीटर एयर पिस्टल टीम इवेंट में रजत पदक जीता था. 

इसके साथ ही ईशा सिंह ने  बेहद ही कम उम्र में खेल की दुनिया में अपना काफी अच्छा नाम बना लिया है.  ईशा सिंह की उम्र अभी केवल 17 साल है. ईशा ने  9 साल की उम्र में शूटिंग की ट्रेनिंग लेनी शुरू कर दी थी. साल 2014 में ईशा ने पहली बार बन्दूक पकड़ी थी. इसके साथ ही अपनी काबिलियत के दम पर ईशा ने साल 2018 में नेशनल शूटिंग चैंपियनशिप का खिताब जीता.  महज 13 साल की उम्र में ही ईशा ने कई इंटरनेशनल मैडल विजेताओं को धूल चटाई. साथ ही ईशा ने यूथ, जूनियर और सीनियर कैटेगरी में 3 गोल्ड मेडल्स अपने नाम किए.

तेलंगाना में पैदा हुई ईशा ने जब शूटिंग की शुरूआत की थी तब उनके घर के आसपास कोई शूटिंग रेंज नहीं था. इस वजह से ईशा को ट्रेनिंग लेने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा. ट्रेनिंग के लिए ईशा 1 घंटे की दूरी पर गाचीबॉली स्टेडियम में जा कर ट्रेनिंग लिया करती थी. ईशा ने अपने पैशन के साथ अपनी पढ़ाई भी जारी रखी. लेकिन ईशा खाली समय में भी शूटिंग पर ध्यान लगाया करती थी. 


ईशा सिंह के पिता एक मोटर ड्राइवर थे, बता दें कि बेटी का करियर बनाने के लिए ईशा के पिता सचिन सिंह ने अपने काम को भी छोड़ दिया था. बता दें कि ईशा का करियर बनाने में पिता के साथ ही ईशा की मां ने भी उनके लिए काफी योगदान दिया. दोनों माता-पिता की इस क़ुरबानी को ईशा ने खाली नहीं जाने दिया और महज 4 सालों में ही नेशनल चैंपियन बनकर दिखाया.

 

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