कहते हैं कि आपकी किस्मत आपको मंजिल तक पहुंचा ही देती है. दरअसल ये बात उस महिला क्रिकेटर के जीवन पर एकदम सटीक बैठती है, जिसने कभी क्रिकेटर बनने की नहीं सोची थी. लेकिन आज वो देश की महान बल्लेबाजों में से एक हैं. इन्हें लेडी सचिन के नाम से भी जाना जाता है. हम बात कर रहे हैं मिताली राज की. मिताली का पूरा नाम मिताली दोराई राज है. मिताली का जन्म 3 दिसंबर, 1982 को हुआ था.
मिताली राज अब तक की सबसे महान भारतीय महिला क्रिकेटरों में से एक हैं. वह महिला क्रिकेट की दुनिया में शीर्ष 5 खिलाड़ियों में उनका नाम दर्ज है. मिताली महिला वनडे टीम की कप्तान हैं. खेल में उनके रिकॉर्ड और उपलब्धियां उन्हें खेल का लेजेंड बनाती हैं. 38 वर्षीय मिताली ने अपने करियर की शुरुआत लगभग 22 साल पहले 1999 में की थी और उसके बाद से उनका परफॉर्मेंस ग्राफ केवल ऊपर ही गया है. 214 एकदिवसीय मैचों में 7098 रन के साथ मिताली दुनिया में सबसे ज्यादा रन बनाने वाली खिलाड़ी हैं. जहां हमें बॉस लेडी के बारे में बहुत कुछ पढ़ने और सुनने को मिलता है, वहीं उनके बारे में कुछ रोचक तथ्य साझा करने लायक हैं
मिताली को उनके फैंस लेडी तेंदुलकर बुलाते हैं
मिताली राज काफी समय से पिच पर अपने बल्ले से जलवे बिखेर रही है. बता दें कि पूर्व भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी से 6 साल पहले क्रिकेट की दुनिया में कदम रख चुकी थीं. जहां धोनी पहले ही संन्यास ले चुके हैं, वहीं मिताली नीली जर्सी में अपनी क्लास दिखाती रहती हैं. यही कारण है कि उन्हें अक्सर महिला क्रिकेट का सचिन तेंदुलकर कहा जाता है. वह एकमात्र भारतीय कप्तान हैं जिन्होंने 50 ओवर के दो विश्व कप फाइनल में अपनी टीम का नेतृत्व किया है. जहां हमें बॉस लेडी के बारे में बहुत कुछ पढ़ने और सुनने को मिलता है, वहीं उनके बारे में कुछ रोचक तथ्य साझा करने लायक हैं
क्रिकेटर नहीं बनना चाहती थीं मिताली
क्या आप जानते हैं कि विश्व भर में अपने बल्ले का दमखम दिखाने वाली मिताली क्रिकेटर बनना ही नहीं चाहती थीं. जी हां, देश की महानतम महिला क्रिकेटर ने कभी भी क्रिकेट को अपनी पहली करियर पसंद के रूप में नहीं सोचा था. मिताली राज नृत्य के प्रति आकर्षित थीं और उन्होंने भरतनाट्यम भी सीखा था. किशोरावस्था में मिताली डांस की फील्ड में नाम कमाना चाहती थी. क्रिकेट से उनका परिचय उनके माता-पिता ने कराया था. मिताली एक आलसी लड़की थी, और उसके माता-पिता ने उसे अनुशासित और सक्रिय बनाने के लिए खेल से परिचित कराया था.
क्रिकेटर नहीं तो अफसर होती मिताली
मिताली राज ने बड़े होकर भी क्रिकेटर बनने के बारे में नहीं सोचा था. मिताली ने एक इंटरव्यू में खुलासा किया कि वह सिविल सेवाओं में शामिल होना चाहती थीं. भरतनाट्यम जैसे शास्त्रीय नृत्य के लिए उनके प्यार के बावजूद, सिविल सर्विसेज ने मिताली को सबसे अधिक आकर्षित किया. हालाँकि, भाग्य ने उन्हें क्रिकेट की पिच पर ला दिया.
16 साल की उम्र में रचा इतिहास
16 साल की उम्र में, मिताली राज ने आयरलैंड के खिलाफ एकदिवसीय मैच में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में डेब्यू किया, जिसके साथ वो डेब्यू करने वाली सबसे कम उम्र की भारतीय महिला क्रिकेटरों में से एक बन गईं. उन्होंने मैच में शतक बनाया और वनडे में अपने डेब्यू पर शतक बनाने वाली सबसे कम उम्र की महिला क्रिकेटर बन गईं. वह वनडे डेब्यू पर शतक लगाने वाली चौथी महिला क्रिकेटर हैं.
बेस्ट ओडीआई पार्टनरशिप
इस मैच में जब मिताली ने आयरलैंड के खिलाफ पदार्पण किया, उन्होंने रेशमा के साथ भारतीय महिला क्रिकेट टीम के लिए सर्वश्रेष्ठ साझेदारी बनाने का एक और रिकॉर्ड बनाया. दोनों ने भारतीय टीम के लिए 258 रन बटोरे और रेशमा ने मैच में 104 रन बनाए. यह विशाल साझेदारी किसी भी विकेट के लिए तीसरी सर्वश्रेष्ठ और पहले विकेट के लिए दूसरी सर्वश्रेष्ठ साझेदारी थी.
मोस्ट कैप्ड महिला क्रिकेटर
चाहे बात रनों की संख्या हो या मैचों की संख्या की, मिताली राज हर मामले में शीर्ष पर हैं. 214 एकदिवसीय मैचों में उपस्थिति के साथ, मिताली सबसे अधिक कैप वाली महिला एकदिवसीय क्रिकेटर हैं. वह महिला क्रिकेट में 125 के साथ 7098 रन के साथ सबसे अधिक रन बनाने वाली खिलाड़ी भी हैं. उन्होंने किसी भी महिला क्रिकेटर की तुलना में लगातार सबसे अधिक मैच खेलने वाली इकलौती महिला खिलाड़ी हैं. अपने 22 साल के लंबे करियर में मिताली ने 2006 में सबसे ज्यादा रन बनाए. उन्होंने सिर्फ 23 मैचों में 684 रन बनाए.
सबसे कम उम्र की महिला कप्तान
मिताली राज को वर्ष 2004 में भारतीय महिला क्रिकेट टीम का कप्तान बनाया गया था. उन्होंने तब से 100 से अधिक मैचों में अपनी टीम का नेतृत्व किया है, जो कि किसी भी भारतीय महिला क्रिकेटर द्वारा सबसे अधिक है. मिताली, भारतीय महिला क्रिकेट टीम की सातवीं और सबसे कम उम्र की पहली कप्तान है. स्टार क्रिकेटर को 21 साल की छोटी सी उम्र में ही कप्तान का रोल दे दिया गया था. भारत ने मिताली की कप्तानी में 2006 में इंग्लैंड के खिलाफ अपनी पहली टेस्ट सीरीज जीती थी.
मिताली की उपलब्धियां
अपने 22 साल के लंबे करियर में मिताली राज को कई प्रतिष्ठित खिताबों और पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है. 2003 में पदार्पण करने के ठीक चार साल बाद उन्हें अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. इसके बाद मिताली को 2015 में पद्मश्री पुरस्कार मिला, उसके बाद 2017 में यूथ स्पोर्ट्स आइकन ऑफ एक्सीलेंस अवार्ड, 2017 में वोग स्पोर्ट्सपर्सन ऑफ द ईयर और 2017 में विजडन लीडिंग में विश्व पुरस्कार मिला. वह 2015 में विजडन इंडिया क्रिकेटर ऑफ द ईयर का पुरस्कार जीतने वाली पहली क्रिकेटर बनीं.