मोहल्ले में अपने बल्ले से गेंद में छक्का मार खिड़की तोड़ने वाले बच्चों को अकसर डांट ही नसीब होती है. या फिर किसी के दरवाज़े के आगे खेल रहे बच्चो को एक ही डायलॉग सुनने को मिलता है कि 'चलो-चलो आगे खेलो'.
अब कुछ बच्चे होते भी ऐसे है कि खेलते भी शानदार हैं, तो उनके घरवाले पढ़ाई की दुहाई देकर उनको खेल से दूर करवाते हैं. लेकिन अब उन बच्चों को अनजाने में ही सही लेकिन पहचान मिल सकती है. चलिए बताते हैं कि क्या है वो तरीका.
फोन बना हथियार
जी हां, आपकी जेब में पड़ा फोन ही उनको पहचान दिलाने में अहम भूमिका निभाएगा. अगर आपने फोन के कैमरे का इस्तेमाल फोटो खींचने के लिए तो बहुत किया होगा. लेकिन उसी कैमरे से अगर इन बच्चों के खेल का वीडियो लेंगे, तो शायद यह उनका नसीब बना दें.
कैसे लिखी जाएगी तकदीर
कहते हैं कि किस्मत को कोई नहीं पलट सकता, लेकिन थोड़ी सी मेहनत के साथ किस्मत को लिखा जरूर जा सकता है. इन्ही बच्चों की किस्मत को लिखने के खेलो इंडिया के तहत एक ऐप बनाया जा रहा है. जहां कोई भी अपनी वीडियो अपलोड कर सकेगा, या फिर कोई किसी और की वीडियो और डिटेल अपलोड कर सकेगा.
कैसे करेगी ऐप काम
दरअसल एक बार ऐप तैयार होने के बाद जब इसपर बच्चों के खेल के वीडियो को अपलोड किया जाएगा, तो उन वीडियो का आकलन खेलो इंडिया की क्षेत्रीय समितियां करेंगी. अगर किसी का वीडियो पसंद आता है और वह सलेक्ट हो जाता है, तो ट्रायल के बाद उसे स्टेट लेवल पर खेलने का मौका मिलेगा.
इस ऐप को केंद्रीय खेल मंत्रालय मोबाइल के लिए तैयार कर रहा है. इसकी मदद से छिपे हुए टेलेंट सामने आ पाएंगे और उन्हें मौका मिलेगा खुद को साबित करने का. इसके लिए उन्हें किसी दफ्तर के चक्कर नहीं काटने पड़ेगे. स्टेट लेवल के बाद वह नेशनल लेवल पर भी खेल सकते हैं. अपनी कड़ी मेहमत के साथ वह खुद को साबित कर सकेंगे.
ग्रामीण क्षेत्रो में मिलेगा खासा फायदा
ग्रामीण क्षेत्र में इसका काफी फायदा होगा. वहां के लोग किसी बच्चे के खेल की वीडियो को यहां अपलोड कर सकेंगे, जिसके बाद उसे उसकी पहचान मिलेगी. खेलों को बढ़ावा देने के लिए सरकार भी अपनी तरफ से तमाम योजनाए चला रही है.