साइबर जंग में हैकर्स के अजीबो-गरीब नामों का खेल होगा खत्म! माइक्रोसॉफ्ट, क्राउडस्ट्राइक और गूगल जैसी दिग्गज कंपनियां आएंगी साथ 

साइबरसिक्योरिटी की दुनिया में हैकर्स के नामों का ये खेल कोई नई बात नहीं है, लेकिन इसे व्यवस्थित करने की कोशिश निश्चित रूप से एक नया कदम है. अगर माइक्रोसॉफ्ट, गूगल और क्राउडस्ट्राइक जैसे दिग्गज इस ग्लॉसरी को सफलतापूर्वक लागू कर पाए, तो ये साइबर डिफेंडर्स के लिए एक बड़ा हथियार हो सकता है. 

साइबर हैकर्स नाम लिस्ट
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 03 जून 2025,
  • अपडेटेड 11:43 AM IST

क्या आपने कभी सुना है कि डिजिटल दुनिया में जासूसी करने वाले हैकर्स को "कोज़ी बेयर" या "क्रिप्टोनाइट पांडा" जैसे मजेदार नाम दिए जाते हैं? जी हां, ये कोई मजाक नहीं है! साइबरसिक्योरिटी की दुनिया में हैकिंग ग्रुप्स को ऐसे अनोखे और रंगीन नामों से पुकारा जाता है, जो सुनने में किसी सुपरहीरो फिल्म के किरदारों जैसे लगते हैं. लेकिन अब, माइक्रोसॉफ्ट, क्राउडस्ट्राइक, पालो ऑल्टो और गूगल जैसी दिग्गज कंपनियां इस "नामकरण की जंगल" को साफ करने के लिए एक साथ आ रही हैं. 

इन कंपनियों ने ऐलान किया है कि वे एक ऐसा सार्वजनिक ग्लॉसरी बनाएंगी, जिसमें स्टेट-स्पॉन्सर्ड हैकिंग ग्रुप्स और साइबर अपराधियों के नामों को व्यवस्थित किया जाएगा. 

हैकर्स के नाम
साइबरसिक्योरिटी की दुनिया में हैकर्स को पहचानना आसान काम नहीं है. ये डिजिटल जासूस अपनी असल पहचान छुपाकर काम करते हैं, और इन्हें ट्रैक करने के लिए साइबरसिक्योरिटी कंपनियां इन्हें कोडनेम देती हैं. कुछ नाम तो बिल्कुल साधारण होते हैं, जैसे "APT1" (मैंडियंट द्वारा उजागर) या "TA453" (प्रूफपॉइंट द्वारा ट्रैक किया गया). लेकिन कुछ नाम इतने रंगीन और रहस्यमयी हैं कि सुनकर लगता है जैसे कोई साइ-फाई मूवी का सीन हो! मिसाल के तौर पर, ट्रेंडमाइक्रो का "अर्थ लामिया" या कैस्परस्की का "इक्वेशन ग्रुप".

लेकिन असली मजा तो क्राउडस्ट्राइक के नामों में है, जिन्होंने रूसी हैकर्स को "कोज़ी बेयर" और चीनी हैकर्स को "क्रिप्टोनाइट पांडा" जैसे मजेदार नाम दिए. ये नाम इतने पॉपुलर हुए कि दूसरी कंपनियां भी इस ट्रेंड में शामिल हो गईं. 2016 में सिक्योरवर्क्स ने रूसी हैकर्स को "आयरन ट्वाइलाइट" नाम दिया, जो पहले "TG-4127" कहलाते थे. माइक्रोसॉफ्ट ने भी अपने पुराने बोरिंग नाम जैसे "रुबिडियम" को छोड़कर "लेमन सैंडस्टॉर्म" और "संगरिया टेम्पेस्ट" जैसे मौसम-थीम वाले नामों को अपनाया. 

नामों का जंगल और भ्रम की दुनिया
इन अनोखे नामों की बाढ़ ने साइबरसिक्योरिटी की दुनिया में भ्रम की स्थिति पैदा कर दी है. 2016 में जब अमेरिकी सरकार ने रूसी हैकिंग ग्रुप्स और उनके मैलवेयर के बारे में एक रिपोर्ट जारी की, तो उसमें 48 अलग-अलग नाम शामिल थे, जैसे "सोफेसी", "पॉन स्टॉर्म", "चॉपस्टिक", "त्सार टीम" और "ऑनियनड्यूक". इतने सारे नामों ने साइबरसिक्योरिटी एक्सपर्ट्स को भी चकरा दिया.

माइक्रोसॉफ्ट की सिक्योरिटी कॉर्पोरेट वाइस प्रेसिडेंट वासु जक्कल का कहना है, "हमें विश्वास है कि इस ग्लॉसरी से साइबर खतरों के खिलाफ हमारी सामूहिक प्रतिक्रिया और रक्षा में तेजी आएगी." वहीं, पालो ऑल्टो के थ्रेट इंटेलिजेंस यूनिट के सीटीओ माइकल सिकोरस्की इसे "गेम-चेंजर" मानते हैं. उनका कहना है कि एक ही हैकिंग ग्रुप के लिए अलग-अलग नामों का इस्तेमाल डिफेंडर्स के लिए भ्रम पैदा करता है, और इस ग्लॉसरी से ये भ्रम दूर होगा.

सेंटिनलवन के शीर्ष रिसर्चर जुआन-एंड्रेस ग्युरेरो-सादे का कहना है कि साइबरसिक्योरिटी इंडस्ट्री में कंपनियां जानकारी को छुपाने में विश्वास रखती हैं. उनके मुताबिक, जब तक ये कंपनियां खुलकर जानकारी साझा नहीं करतीं, ये ग्लॉसरी सिर्फ "ब्रांडिंग-मार्केटिंग का जादू" बनकर रह जाएगी.

साइबरसिक्योरिटी की दुनिया में हैकर्स के नामों का ये खेल कोई नई बात नहीं है, लेकिन इसे व्यवस्थित करने की कोशिश निश्चित रूप से एक नया कदम है. अगर माइक्रोसॉफ्ट, गूगल और क्राउडस्ट्राइक जैसे दिग्गज इस ग्लॉसरी को सफलतापूर्वक लागू कर पाए, तो ये साइबर डिफेंडर्स के लिए एक बड़ा हथियार हो सकता है. 


 

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