Jaipur Airport बना देश का पहला Climate Tech Oxygen Zone, Ocean Tree तकनीक से शुद्ध हवा

‘ओशियन ट्री’ एक खास मशीन है जो आम एयर प्यूरीफायर से कहीं ज्यादा असरदार है. ये मशीनें हवा से कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂) को खींचती हैं और बदले में ऑक्सीजन छोड़ती हैं.

Ocean tree technique installed in Jaipur Airport
रिदम जैन
  • जयपुर,
  • 05 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 2:18 PM IST

जयपुर इंटरनेशनल एयरपोर्ट ने एक बड़ा और अनोखा कदम उठाया है. अब यह देश का पहला ऐसा एयरपोर्ट बन गया है, जहां यात्रियों को स्वच्छ और ताजी ऑक्सीजन देने के लिए खास तरह की मशीनें लगाई गई हैं. इन मशीनों को ‘Ocean Tree’ कहा जाता है, और इन्हें टर्मिनल-1 और टर्मिनल-2 पर लगाया गया है.

क्या है ओशियन ट्री?
‘ओशियन ट्री’ एक खास मशीन है जो आम एयर प्यूरीफायर से कहीं ज्यादा असरदार है. ये मशीनें हवा से कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂) को खींचती हैं और बदले में ऑक्सीजन छोड़ती हैं, बिल्कुल वैसे जैसे पेड़ करते हैं. लेकिन फर्क यह है कि ये मशीनें कम जगह में और तेज़ी से काम करती हैं.

ये मशीनें खास उन जगहों पर लगाई गई हैं जहाँ लोग ज्यादा समय तक रुकते हैं या भीड़ ज्यादा होती है, जिससे वहां की हवा साफ और ऑक्सीजन से भरपूर बनी रहे.

एक मशीन- छह पेड़
ओशियन ट्री को बिजली से चलाया जाता है और इसमें फ्रेश वॉटर एल्गी यानी शैवाल भरी जाती हैं. ये एल्गी हवा में मौजूद CO₂ को तेजी से सोखती हैं और उसके बदले शुद्ध ऑक्सीजन छोड़ती हैं. एक ओशियन ट्री, लगभग छह बड़े पेड़ों जितनी ऑक्सीजन बना सकता है.

इस पहल के पीछे कौन है?
इस खास तकनीक को जयपुर के स्टार्टअप 'ओशियन लक्स सीसीयू टेक्नोलॉजीज' ने बनाया है. कंपनी के संस्थापक गौरव राघव और सह-संस्थापक दीप प्रकाश सिंह ने बताया कि यह मशीनें खास तौर पर दिल्ली जैसे प्रदूषित शहरों में बहुत फायदेमंद साबित हो सकती हैं. इस तकनीक की पहली सफल टेस्टिंग पिछले साल अक्टूबर में जयपुर विकास प्राधिकरण के दफ्तर में की गई थी.

मशीन दिखती भी है सुंदर और उपयोगी
यह मशीनें न सिर्फ हवा को शुद्ध करती हैं, बल्कि दिखने में भी आकर्षक होती हैं. इनमें एक्वेरियम जैसा डिजाइन और बैठने के लिए बेंच भी होती है ताकि लोग इनके पास बैठकर आराम से सांस ले सकें और स्वच्छ हवा का आनंद ले सकें. 

फायदे ही फायदे
इन मशीनों से सिर्फ हवा ही नहीं सुधरती, बल्कि जो कंपनियां इन्हें लगाती हैं उन्हें कई फायदे मिलते हैं:

  • कार्बन क्रेडिट्स मिलते हैं, जिससे टैक्स में छूट मिल सकती है.
  • ये क्रेडिट्स दूसरी कंपनियों को बेचकर अतिरिक्त कमाई भी हो सकती है.
  • कंपनी की ब्रांड इमेज भी बेहतर होती है.

यह तकनीक सरकार की कई पर्यावरण योजनाओं जैसे "नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम" और "कार्बन कैप्चर पॉलिसी" को भी मजबूत करती है.

जहां चाहें, वहां लगा सकते हैं ओशियन ट्री
यह मशीनें सरकारी दफ्तर, निजी कंपनियों के ऑफिस, मॉल, होटल, स्कूल, कॉलेज या किसी भी इंडोर जगह पर आसानी से लगाई जा सकती हैं. ये मशीनें यह संदेश देती हैं कि हम प्रकृति और तकनीक को साथ लेकर आगे बढ़ सकते हैं.

एक नई सोच की शुरुआत
जयपुर एयरपोर्ट की यह पहल न सिर्फ हवा को साफ करने का एक तरीका है, बल्कि यह दिखाती है कि हम स्वस्थ और पर्यावरण के प्रति जिम्मेदार समाज की ओर बढ़ रहे हैं. अब उम्मीद की जा रही है कि देश के अन्य एयरपोर्ट और सार्वजनिक स्थानों पर भी ऐसी तकनीक को अपनाया जाएगा.
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