ये डिवाइस बना सकता है 'आलसी' लोगों को भी एक्टिव, सिर्फ 30 मिनट कान पर लगाने से मिलेगा फायदा

शोधकर्ताओं ने एक ऐसा छोटा सा डिवाइस बनाया है, जो दिल और दिमाग को जोड़ने वाली बड़ी नस (वैगस नर्व) को हल्के झटकों से शरीर की फिटनेस बढ़ा सकता है. यह डिवाइस कान के बाहरी हिस्से से क्लिप की तरह जोड़ा जाता है.

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gnttv.com
  • नई दिल्ली ,
  • 31 जुलाई 2025,
  • अपडेटेड 12:24 PM IST
  • सिर्फ 30 मिनट कान पर लगाना होता है
  • कैसे काम करता है यह डिवाइस?

अगर आप भी उन लोगों में से हैं जिन्हें हर काम करने में आलस आता है और जिम जाना या एक्सरसाइज करना भी भारी लगता है, तो ये खबर आपके लिए है. अब एक छोटा-सा डिवाइस आपकी फिटनेस को बढ़ाने में मदद कर सकता है. वो भी बिना भारी-भरकम वर्कआउट के.

सिर्फ 30 मिनट कान पर लगाना होता है
ब्रिटेन के वैज्ञानिकों ने एक ऐसा हेल्थ डिवाइस तैयार किया है, जिसे रोज सिर्फ 30 मिनट कान पर लगाने से आपकी फिटनेस सुधर सकती है. यह डिवाइस शरीर में मौजूद “वैगस नर्व” को एक्टिव करता है. जो दिल और दिमाग के बीच संपर्क बनाए रखता है. यह डिवाइस खासतौर पर उन लोगों के लिए फायदेमंद हो सकता है जो व्यायाम नहीं कर पाते या हार्ट फेलियर से जूझ रहे हैं.

कैसे काम करता है यह डिवाइस?
यह डिवाइस दिखने में छोटा और हल्का है, जिसे कान के बाहरी हिस्से पर क्लिप की तरह लगाया जाता है. यह हल्के-फुल्के इलेक्ट्रिक पल्स देता है, जिससे वैगस नर्व की एक्टिविटी बढ़ती है. यही नर्व हार्ट रेट, सांस लेने की क्षमता और शरीर की सूजन पर असर डालती है.

ट्रायल में फिटनेस के आंकड़े बेहतर हुए
यह स्टडी यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन और क्वीन मैरी यूनिवर्सिटी ऑफ लंदन के वैज्ञानिकों ने मिलकर की. इसमें 28 सेहतमंद वॉलंटियर्स को शामिल किया गया. आधे लोगों को 30 मिनट रोज यह डिवाइस पहनने को कहा गया, बाकी को डमी डिवाइस दी गई. फिर दो हफ्तों के बाद दोनों ग्रुप्स को आपस में बदल दिया गया.

ट्रायल के दौरान पाया गया कि डिवाइस पहनने वाले लोगों की ऑक्सीजन लेने की क्षमता 4% तक बढ़ी, सांस लेने की अधिकतम दर में औसतन 4 सांस प्रति मिनट की बढ़ोतरी हुई और दिल की धड़कन भी एक्सरसाइज के समय 4 बीट प्रति मिनट ज्यादा पाई गई.

सूजन घटाने में भी मददगार
ट्रायल में शामिल 5 लोगों के खून के सैंपल लेकर जांच की गई. इसमें पता चला कि एक हफ्ते तक डिवाइस पहनने से शरीर में सूजन कम हुई. यानी यह डिवाइस सिर्फ फिटनेस नहीं बढ़ाता, बल्कि इम्यून सिस्टम पर भी पॉजिटिव असर डाल सकता है.

फिजिकल एक्टिविटी बेहद जरूरी है
क्वीन मैरी यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर गैरेथ एकलैंड कहते हैं, "फिजिकल एक्टिविटी न सिर्फ हार्ट बल्कि मानसिक और इमोशनल हेल्थ के लिए भी जरूरी है. यह डिवाइस इस बात का सबूत है कि दिमाग, एक्सरसाइज परफॉर्मेंस और इम्यून सिस्टम को रेगुलेट करने में बहुत अहम भूमिका निभाता है."

हार्ट फेलियर वाले पेशेंट्स की लाइफ हो सकती है बेहतर
इस रिसर्च को ब्रिटिश हार्ट फाउंडेशन ने फंड किया है. उनके चीफ मेडिकल ऑफिसर प्रोफेसर ब्रायन विलियम्स कहते हैं, "यह तकनीक दिल और दिमाग के बीच के कनेक्शन को एक्टिव कर फिटनेस बढ़ाने का एक सरल और सुरक्षित तरीका हो सकता है. आने वाले समय में यह हार्ट फेलियर से जूझ रहे मरीजों की क्वालिटी ऑफ लाइफ बेहतर करने में मदद कर सकता है."

हेल्थ समस्याओं से जूझ रहे लोगों के लिए उम्मीद की किरण
वैज्ञानिकों का कहना है कि ये शुरुआती नतीजे उम्मीद जगाने वाले हैं, लेकिन अब जरूरत है कि इसे बड़ी संख्या में मरीजों पर आजमाया जाए. अगर यह तकनीक कारगर साबित होती है, तो यह फिटनेस, हृदय स्वास्थ्य और सूजन से जुड़ी बीमारियों से जूझ रहे करोड़ों लोगों के लिए वरदान साबित हो सकती है.

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