देश में साइबर अपराध लगातार बढ़ रहे हैं और अपराधी नए-नए तरीकों से लोगों को ठगने की कोशिश कर रहे हैं. कुछ समय पहले गुजरात के सूरत से एक मामला सामने आया था जहां एक सीनियर सिटीजन से 98 लाख रुपये की ठगी की गई. साइबर ठगों ने बुजुर्ग को फोन कर कहा कि उनकी बीमा पॉलिसी मैच्योर हो चुकी है और रकम पाने के लिए उन्हें प्रोसेसिंग फीस जमा करनी होगी।
भरोसा करके बुजुर्ग ने अलग-अलग खातों में कई बार पैसे ट्रांसफर किए. जब शक हुआ, तब तक 98 लाख रुपये उनके खाते से निकल चुके थे. हालांकि, सूरत साइबर क्राइम सेल ने इस मामले में दिल्ली के रहने वाले अमित कुमार और सुमित कुमार को गिरफ्तार किया था.
पॉलिसी फ्रॉड के अलावा भी कई तरह के तरीके स्कैमर्स अपना रहे हैं. दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक, पंजाब के लुधियाना में भी इस तरह की घटनाएं काफी देखी गई जहां बुजुर्गों से फर्जी कॉल करके फ्रॉड किया गया, लेकिन अब यहां पर सीनियर सिटीजन जागरूक हो रहे हैं और खुद अलग-अलग सावधानियां बरत रहे हैं.
कोड वर्ड बनाकर ठगी से बचाव
दैनिक भास्कर के मुताबिक, लुधियाना की 67 साल की सुखवंत कौर को फोन पर बताया गया कि उनके बेटे का एक्सीडेंट हो गया है. कॉलर ने एक ऐसे व्यक्ति से बात करवाई, जिसकी आवाज उनके बेटे जैसी थी. उन्होंने 12,000 रुपये भेज दिए. बाद में पता चला, बेटा एग्जाम में था. इसके बाद उन्होंने कोड वर्ड बनाया. अब परिवार के किसी भी सदस्य कॉल पर पहले पूछती हैं, "आज सब्जी क्या बनी है?"
सही जवाब मिलने पर ही बात करती हैं, वरना फोन काट देती हैं.
इसी तरह, 78 साल के मनमोहन सिंह को बेटे की आवाज में फोन आया और शादी की खरीदारी के लिए 45,000 रुपये मांगे गए.
उन्होंने पैसे भेज दिए. अब अनजान कॉल आने पर मनमोहन सिंह परिवार के सभी सदस्यों को कॉन्फ्रेंस कॉल में जोड़कर ही बात करते हैं. साइबर पुलिस की मदद अब कई लोग टू-कॉलर एप के जरिए नए नंबरों की पहचान करते हैं.
कैसे बचें साइबर ठगी से
साइबर ठग नए-नए तरीके अपनाकर खासतौर पर बुजुर्गों को निशाना बना रहे हैं. इसलिए सतर्क रहना बेहद जरूरी है. जितना ज्यादा लोग जागरूक होंगे, उतना ही साइबर अपराधियों के लिए लोगों को ठगना मुश्किल होगा.
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