Red Light Therapy: खूबसूरत और जवां दिखने के लिए ले सकते हैं रेड लाइट थेरेपी, दुनिया भर में बढ़ा इस स्किन केयर रूटीन का क्रेज

Red Light Therapy: रेड लाइट थेरेपी में लो-लेवल रेड और नियर-इन्फ्रारेड लाइट का इस्तेमाल होता है. यह लाइट आपकी स्किन सेल्स तक पहुंचकर उनकी एनर्जी प्रोडक्शन को बढ़ाती है.

Red Light Therapy: Photo: Getty
अपूर्वा राय
  • नई दिल्ली,
  • 18 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 3:11 PM IST

ब्यूटी और फैशन की दुनिया में ट्रेंड लगातार बदलते रहते हैं. आज स्किनकेयर रूटीन सिर्फ आदत नहीं, बल्कि लाइफस्टाइल का अहम हिस्सा बन चुका है. इसी बीच, खूबसूरत और जवां दिखने के लिए एक नया ब्यूटी ट्रीटमेंट तेजी से लोकप्रिय हो रहा है. इसे LED लाइट थेरेपी कहा जाता है. शिल्पा शेट्टी के पति और बिजनेसमैन राज कुंद्रा को अक्सर रेड लाइट मास्क पहने देखा जाता है. तो चलिए विस्तार से जानते हैं इस थेरेपी के बारे में.

रेड लाइट थेरेपी क्या है और कैसे काम करती है?
रेड लाइट थेरेपी में लो-लेवल रेड और नियर-इन्फ्रारेड लाइट का इस्तेमाल होता है. यह लाइट आपकी स्किन सेल्स तक पहुंचकर उनकी एनर्जी प्रोडक्शन को बढ़ाती है. जब सेल्स ज्यादा एनर्जी बनाते हैं, तो वे अपने डैमेज को तेजी से रिपेयर करते हैं और स्किन बेहतर दिखने लगती है.

यह थेरेपी न सिर्फ कॉलजेन प्रोडक्शन बढ़ाती है, बल्कि ब्लड सर्कुलेशन को भी बेहतर करती है और सूजन कम करती है. यही वजह है कि यह फाइन लाइंस, उम्र बढ़ने के संकेत, स्किन टोन, टेक्सचर और कई स्किन समस्याओं पर काम करती है.

किस तरह के स्किन बेनिफिट्स मिल सकते हैं?

  • स्किन को टाइट और फर्म बनाती है.

  • कॉलजेन बढ़ाकर फाइन लाइंस और रिंकल्स कम करती है.

  • रेडनेस और इंफ्लेमेशन कम करती है.

  • मुंहासों वाले बैक्टीरिया पर असर डालकर एक्ने कंट्रोल करती है.

  • स्किन डिसकलरशन और सन डैमेज में सुधार लाती है.

  • स्किन को हेल्दी ग्लो देती है.

  • हेयर लॉस (अलोपीशिया) में भी मदद कर सकती है.

कौन-सी लाइट क्या करती है?

1. ब्लू लाइट (380–500 nm)

  • स्किन की ऊपरी लेयर तक सीमित रहती है.

  • एक्ने पैदा करने वाले बैक्टीरिया को खत्म करती है.

  • डर्मेटाइटिस, एक्जिमा और सोरायसिस जैसी इंफ्लेमेटरी समस्याओं में राहत दिलाती है.

2. रेड लाइट (630–660 nm)

  • स्किन लेयर में अच्छी तरह अवशोषित होती है.

  • स्किन टेक्सचर, इलास्टिसिटी और फर्मनेस में सुधार लाती है.

  • कॉलजेन प्रोडक्शन बढ़ाती है.

  • हल्के एक्ने और स्किन रफनेस कम करती है.

नियर-इन्फ्रारेड (810–850 nm)

  • स्किन की गहराई, मसल्स और जोड़ों तक पहुंचती है.

  • मसल रिकवरी, इंफ्लेमेशन और चोटों के हीलिंग में मदद करती है.

  • कुछ एथलीट इसे रिकवरी के लिए इस्तेमाल करते हैं.

ग्रीन लाइट (500–570 nm)

  • पिग्मेंटेशन और स्किन ब्राइटनिंग में असरदार है

  • कॉलजेन स्टिमुलेशन में मदद करती है.

रेड लाइट थेरेपी को लेकर हमने एलांटिस हेल्थकेयर की एमडी और डर्मेटोलॉजिस्ट डॉ. चांदनी जैन गुप्ता से बातचीत की और इस स्किन केयर थेरेपी से जुड़े कुछ सवालों के जवाब जाने.

Red Light Therapy

क्या रेड लाइट थेरेपी सच में काम करती है?
हां, रेड लाइट थेरेपी कई रिसर्च में असरदार पाई गई है. यह लो-लेवल रेड और नियर-इन्फ्रारेड लाइट का इस्तेमाल करती है, जो स्किन सेल्स की ऊर्जा उत्पादन क्षमता बढ़ाती है. इससे सेल्स तेजी से रिपेयर होते हैं और इंफ्लेमेशन कम होता है. यही कारण है कि यह स्किन रीजनरेशन, रिंकल्स कम करने, जॉइंट पेन, वाउंड हीलिंग और यहां तक कि हेयर ग्रोथ जैसे मामलों में भी इस्तेमाल की जाती है. हालांकि, हर व्यक्ति में परिणाम अलग-अलग हो सकते हैं, लेकिन नियमित इस्तेमाल से अधिकतर लोगों को कुछ हफ्तों में स्किन टेक्सचर और ग्लो में सुधार दिखता है.

2. रेड लाइट थेरेपी स्किन को कैसे जवां दिखा सकती है?
रेड लाइट थेरेपी त्वचा के लिए कई तरह से फायदेमंद मानी जाती है. यह स्किन में कोलेजन और इलास्टिन के उत्पादन को बढ़ाकर फाइन लाइन्स और झुर्रियों को कम करती है, जिससे त्वचा ज्यादा टाइट और स्मूद दिखती है. बेहतर ब्लड सर्कुलेशन के कारण स्किन में नैचुरल ग्लो भी आता है. इसकी एंटी-इंफ्लेमेटरी क्षमता रेडनेस, रोजेसिया और हल्के एक्ने में राहत देने में मदद करती है. यह स्किन टोन को समान करने, सन डैमेज और पिग्मेंटेशन को कम करने में मददगार हो सकती है. नियमित और सही तरीके से इस्तेमाल करने पर त्वचा का टोन, टेक्सचर और कुल मिलाकर ओवरऑल हेल्थ बेहतर दिखाई देती है.

3. क्या रेड लाइट थेरेपी सुरक्षित है?
अधिकतर मामलों में, रेड लाइट थेरेपी पूरी तरह सुरक्षित मानी जाती है क्योंकि इसमें UV लाइट नहीं होती, इसलिए स्किन बर्न या टैनिंग का खतरा नहीं होता. इसका उपयोग नॉन-इनवेसिव है और आमतौर पर दर्दरहित रहता है. कभी-कभार गलत इस्तेमाल से हल्की लालिमा, गर्माहट या इरिटेशन हो सकता है जो कुछ ही दिनों में ठीक हो सकता है. जिन लोगों को कुछ मेडिकल कंडीशन हैं, या जो लाइट-सेंसिटिव दवाएं ले रहे हैं, उन्हें पहले डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए.

 

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