लंबे समय से पेट्रोल-डीजल से चलने वाली गाड़ियों ने दुनिया को रफ्तार दी, लेकिन इसके साथ आया प्रदूषण, ईंधन की बढ़ती कीमतें और पर्यावरण पर पड़ता गहरा असर. 19वीं सदी में पहली बार इलेक्ट्रिक वाहनों की शुरुआत हुई और 21वीं सदी तक इलेक्ट्रिक वाहनों ने सड़कों पर रफ्तार पकड़ कर अपनी जगह बनानी शुरू की. फिर शहरों में धीरे-धीरे ई-रिक्शा, इलेक्ट्रिक स्कूटर, इलेक्ट्रिक कार और इलेक्ट्रिक साइकिल का दौर शुरू हुआ और लोगों ने इसे अपने जीवन का हिस्सा बना लिया.
आपको बता दें यह बदलाव अब जमीन तक ही सीमित नहीं है बल्कि जमीन से उठकर आसमान में पहुंच गया है. जी हां, यह सौ टका सच है. इलेक्ट्रिक विमान अब हकीकत बन चुके हैं. बिना शोर के बिना प्रदूषण और कम खर्च में उड़ान भरने के लिए तैयार हैं. ऐसे विमान सिर्फ पर्यावरण के लिए ही बेहतर नहीं हैं बल्कि आम आदमी के लिए भी एक नई उम्मीद हैं. यह सिर्फ तकनीक की तरक्की नहीं बल्कि सामाजिक बदलाव का संकेत भी है. यह उस समय की शुरुआत है, जब उड़ान केवल अमीरों का सपना नहीं रहेगी, बल्कि हर आम व्यक्ति के लिए यह उड़ान हकीकत बनेगी. आने वाले समय में आसमान में भी आपको इलेक्टिक विमान उड़ते नजर आएंगे, इसकी शुरुआत हो चुकी है.
पहला इलेक्टिक विमान
फॉक्स न्यूज के अनुसार हाल ही में अमेरिका की बीटा टेक्नोलॉजी द्वारा बनाए गए इलेक्ट्रिक विमान Alia CX300 ने अपनी ऐतिहासिक पहली उड़ान सफलतापूर्वक पूरी कर ली है. इस विमान ने केवल आधे घंटे में 130 किलोमीटर का सफर तय किया. खास बात यह है कि चार यात्रियों के साथ उड़ान भरने पर इसका का खर्च मात्र 700 रुपए (लगभग $8) आया जबकि यही दूरी पारंपरिक हेलिकॉप्टर से तय करने पर 13000 रुपए ($160) से अधिक खर्च होता है. यह दर्शाता है कि भविष्य की हवाई यात्रा आम यात्रियों के लिए भी अधिक सुलभ होगी.
इलेक्टिक विमान की खासियत
Alia CX300 की सबसे बड़ी खूबी यह है कि इसमें पारंपरिक इंजन और भारी प्रोपेलर नहीं है. इसका मतलब है कि यह विमान बिना शोर और बिना प्रदूषण के उड़ान भरेगा. यह विमान एक बार फुल चार्ज होने पर करीब 463 किलोमीटर तक उड़ सकता है. साल 2025 के अंत तक इसे अमेरिकी की एविएशन अथॉरिटी से प्रमाण मिलने की उम्मीद है.
अब भारत भी नहीं है पीछे
भारत सरकार ने देश में पूरी तरह स्वदेशी इलेक्ट्रिक विमान विकसित करने की दिशा में कदम बढ़ाया है. इलेक्ट्रिक 'हंस' नमक दो सेट ट्रेनर विमान बेंगलुरु स्थित CSIR-NAL नेशनल एयरोस्पेस लैबोरेट्री द्वारा बनाया जा रहा है. विज्ञान और औद्योगिक मंत्री जितेंद्र सिंह ने इसे भारत के लिए गर्व की बात बताया है. इसकी कीमत मात्र दो करोड़ रुपए है जबकि विदेशों से मंगाई जाने वाले ट्रेनर विमान की कीमत 4 करोड़ रुपए तक होती है.
इस विमान का निर्माण न केवल भारत को हरित विमान ग्रीन एविएशन की ओर ले जाएगा बल्कि यह आत्मनिर्भर भारत की दिशा में भी एक बड़ा कदम होगा. इसकी मदद से अधिक से अधिक लोग पायलट बनेंगे. ट्रेनिंग का खर्च घटेगा. पर्यावरण प्रदूषण रुकेगा और भारत का एविएशन सेक्टर तकनीकी रूप से और भी सशक्त होगा. नए युग की उड़ान अब केवल रफ्तार और ऊंचाई की बात नहीं रह गई है, बल्कि टिकाऊ, सस्ती और शांत उड़ान की ओर बढ़ना ही असल प्रगति है. इलेक्ट्रिक विमान इस बदलाव की नींव है, जो न सिर्फ तकनीकी को ग्रीन बनाएगा, बल्कि आम इंसान को भी आसमान में उड़ने का सपना साकार करेगा.
(इस खबर को पूजा कदम ने लिखा है. वह GNT में इंटर्न हैं)