उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ का गोमतीनगर रेलवे स्टेशन प्राइवेट हाथों में चला गया है. यह रेलवे स्टेशन सूबे का पहला प्राइवेट रेलवे स्टेशन बन गया है. यह ना सिर्फ उत्तर प्रदेश का, बल्कि पूर्वोत्तर रेलवे का भी पहला प्राइवेट रेलवे स्टेशन बन गया है. इस स्टेशन पर ट्रेन संचालन, सुरक्षा और टिकट बिक्री को छोड़कर सभी सेवाएं प्राइवेट कंपनियों के हाथों में दी गई है.
प्राइवेट कंपनियां क्या करेंगी?
लखनऊ के गोमतीनगर रेलवे स्टेशन पर स्टेशन प्रबंधन, साफ-सफाई, रखरखाव, खानपान, पार्किंग और अन्य यात्री सुविधाओं का संचालन प्राइवेट कंपनियां संभाल रही हैं. ये सुविधाएं प्राइवेट कंपनियों को देने का मकसद इस रेलवे स्टेशन पर विश्वस्तरीय सुविधाएं प्रदान करना है. हालांकि ट्रेनों के संचालन, टिकट ब्रिकी और सुरक्षा व्यवस्था की जिम्मेदारी भारतीय रेलवे के पास ही रहेगी.
कितने साल का मिलेगा लाइसेंस-
भारतीय रेलवे ने इसको लेकर एक लेटर जारी किया है. रेलवे ने रेल लैंड डेवलपमेंट अथॉरिटी को रेलवे स्टेशन के रखरखाव की जिम्मेदारी सौंपी गई है. इसके लिए देशभर में पहले दो स्टेशन चुने गए थे. इसमें गोमतीनगर के अलावा चंडीगढ़ स्टेशन भी शामिल है. हिंदी न्यूज 18 की रिपोर्ट के मुताबिक रेलवे बोर्ड के कार्यकारी निदेशक अनवर हुसैन ने बताया कि यात्री सुविधाओं को दुरुस्त करने के लिए आरएलडीए प्राइवेट कंपनियों को आमंत्रित करेगा. इसके बाद 3 सालों के विस्तार के साथ 9 साल के लिए लाइसेंस दिए जाएंगे.
कैसा है गोमतीनगर रेलवे स्टेशन?
गोमतीनगर रेलवे स्टेशन उत्तर प्रदेश के सबसे व्यस्त स्टेशनों में से एक है. इस स्ट्रेशन पर 6 प्लेटफॉर्म हैं. इस स्टेशन से गोरखपुर, छपरा, बरौनी जैसे शहरों को जोड़ने वाली ट्रेनों की आवाजाही होती है. इस स्टेशन से रोजाना 76 ट्रेनें गुजरती हैं. इस स्टेशन पर निजीकरण मॉडल लागू करने का मकसद सुविधाओं को बेहतर बनाना है. स्टेशन को यात्रियों के और अनुकूल बनाना है. इससे स्टेशन पर खानपान की गुणवत्ता, स्वच्छता और दूसरी सुविधाओं में सुधार होगा.
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