America’s Secret Weapon: टॉयलेट, माइक्रोवेव, मिनी फ्रिज यहां तक कि स्नैक्स कूलर… कोई लग्जरी क्रूज नहीं, ये दुनिया का सबसे खतरनाक युद्धक विमान है, 37 घंटे उड़ता है

ईरान के फोर्डो न्यूक्लियर प्लांट पर हमला कोई साधारण मिशन नहीं था. इसे ऑपरेशन मिडनाइट हैमर नाम दिया गया, और इसे अंजाम देने के लिए सात B-2 बॉम्बर्स को तैनात किया गया. मिशन की शुरुआत 21 जून 2025 को हुई, और 22 जून को रात 6:40 बजे (अमेरिकी समय) पहला बम फोर्डो पर गिरा. मिशन के दौरान B-2 ने लगभग पूरी तरह रेडियो साइलेंस बनाए रखा.

America’s Secret Weapon B-2 Stealth Bomber (Photo/GettyImages)
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 24 जून 2025,
  • अपडेटेड 12:09 PM IST

क्या आपने कभी सोचा है कि एक ऐसा विमान जो 37 घंटे तक आसमान में उड़ता रहे, जिसमें पायलट्स को घर जैसी सुविधाएं मिलें, और जो दुश्मन की नजरों से पूरी तरह अदृश्य हो? जी हां, हम बात कर रहे हैं अमेरिका के सबसे गुप्त और घातक हथियार B-2 स्टील्थ बॉम्बर की, जिसने हाल ही में ईरान के फोर्डो न्यूक्लियर प्लांट पर हमला करके दुनिया को हिला दिया. इस विमान की खासियतें ऐसी हैं कि आप दंग रह जाएंगे! शौचालय, माइक्रोवेव, मिनी फ्रिज, और स्नैक्स का कूलर- यह कोई लग्जरी क्रूज नहीं, बल्कि दुनिया का सबसे खतरनाक युद्धक विमान है. 

घर जैसी सुविधाएं
22 जून 2025 को मिसूरी के व्हाइटमैन एयर फोर्स बेस से सात B-2 स्टील्थ बॉम्बर्स ने उड़ान भरी और 18 घंटे की यात्रा के बाद ईरान के फोर्डो न्यूक्लियर प्लांट पर हमला किया. वापसी का सफर मिलाकर यह मिशन 37 घंटे का था- यह B-2 का अब तक का सबसे लंबा मिशन था, जो 9/11 हमलों के बाद अफगानिस्तान पर हुए पहले हमले के बाद सबसे बड़ा माना जा रहा है. लेकिन इतने लंबे मिशन में पायलट्स थकते नहीं? जवाब है- नहीं, क्योंकि B-2 का कॉकपिट किसी पंचतारा होटल से कम नहीं!

  1. शौचालय की सुविधा: लंबी उड़ानों के लिए B-2 में एक छोटा लेकिन कार्यक्षम शौचालय मौजूद है. यह सुनिश्चित करता है कि पायलट्स को बिना किसी असुविधा के मिशन पूरा करने में ध्यान रहे.
  2. माइक्रोवेव और मिनी फ्रिज: भूख लगने पर पायलट्स को ठंडा खाना नहीं खाना पड़ता. विमान में माइक्रोवेव ओवन और मिनी रेफ्रिजरेटर है, जहां स्नैक्स और ड्रिंक्स रखे जाते हैं. कुछ क्रू मेंबर्स तो कूलर में अपने पसंदीदा स्नैक्स भी लाते हैं!
  3. रेस्टिंग स्पेस: B-2 में दो पायलट्स की जगह होती है, और कॉकपिट में इतनी जगह है कि एक पायलट उड़ान के दौरान लेटकर आराम कर सकता है, जबकि दूसरा विमान उड़ाता है. कुछ क्रू तो कॉट्स या कैंपिंग पैड्स भी साथ लाते हैं.
  4. ऑटोमेशन का जादू: 172 फीट चौड़े इस बैटविंग जेट में ऑटोमेशन की ऐसी तकनीक है कि यह लंबी उड़ानों में पायलट्स का बोझ कम करती है. रेडियो साइलेंस में भी यह विमान अपने लक्ष्य तक पहुंच जाता है.

क्या है B-2 स्टील्थ बॉम्बर की ताकत?
B-2 स्पिरिट स्टील्थ बॉम्बर को 1997 में अमेरिकी वायुसेना में शामिल किया गया था. इसकी कीमत सुनकर आप चौंक जाएंगे- हर एक विमान की लागत 2 बिलियन डॉलर (लगभग 16,700 करोड़ रुपये) से ज्यादा है. अमेरिका के पास अब सिर्फ 19 B-2 विमान हैं, क्योंकि 2008 में एक हादसे में एक विमान नष्ट हो गया था. लेकिन इसकी ताकत ऐसी है कि यह दुनिया के किसी भी कोने में बिना रुके हमला कर सकता है.

  • अदृश्य तकनीक: B-2 की स्टील्थ तकनीक इसे रडार से बचाती है. इसका बैटविंग डिजाइन और खास कोटिंग इसे दुश्मन की नजरों से छिपा देती है.
  • हथियारों का खजाना: ऑपरेशन मिडनाइट हैमर में B-2 ने 14 GBU-57 मासिव ऑर्डनेंस पेनेट्रेटर (MOP) बम गिराए, जिन्हें "बंकर बस्टर" कहा जाता है. प्रत्येक बम का वजन 15 टन है, और यह पहली बार था जब इनका युद्ध में इस्तेमाल हुआ. ये बम इतने शक्तिशाली हैं कि वे जमीन के नीचे बने बंकरों को भी नष्ट कर सकते हैं.
  • लंबी दूरी की क्षमता: B-2 बिना रुके 18 घंटे तक उड़ सकता है, और हवा में ईंधन भरने (मिड-एयर रिफ्यूलिंग) की सुविधा इसे और लंबी उड़ानें भरने में सक्षम बनाती है.

ऑपरेशन मिडनाइट हैमर में कैसे हुआ हमला?
ईरान के फोर्डो न्यूक्लियर प्लांट पर हमला कोई साधारण मिशन नहीं था. इसे ऑपरेशन मिडनाइट हैमर नाम दिया गया, और इसे अंजाम देने के लिए सात B-2 बॉम्बर्स को तैनात किया गया. मिशन की शुरुआत 21 जून 2025 को हुई, और 22 जून को रात 6:40 बजे (अमेरिकी समय) पहला बम फोर्डो पर गिरा. मिशन के दौरान B-2 ने लगभग पूरी तरह रेडियो साइलेंस बनाए रखा. पायलट्स ने बारी-बारी से सोकर और खाना खाकर अपनी ऊर्जा बनाए रखी. जैसे ही B-2 ईरान के करीब पहुंचे, फाइटर जेट्स और सपोर्ट एयरक्राफ्ट की एक टीम ने उन्हें जॉइन किया.

यह एक जटिल ऑपरेशन था, जिसमें कई विमानों को एक संकरे हवाई क्षेत्र में सटीक समन्वय के साथ काम करना था. लीड B-2 ने दो GBU-57 बम गिराए, जिसके बाद बाकी बॉम्बर्स ने अपने टारगेट्स पर हमला किया. कुल 14 MOP बम दो न्यूक्लियर टारगेट्स पर गिराए गए.

पायलेट्स की ट्रेनिंग कैसे होती है?
बता दें, B-2 के पायलट्स को ऐसे लंबे और तनावपूर्ण मिशनों के लिए खास ट्रेनिंग दी जाती है. ये पायलट्स न केवल तकनीकी रूप से कुशल होते हैं, बल्कि मानसिक और शारीरिक रूप से भी मजबूत होते हैं. पायलट्स को 37 घंटे तक कॉकपिट में रहने की ट्रेनिंग दी जाती है. वे अपने साथ कॉट्स, स्लीपिंग बैग्स, और यहां तक कि कैंपिंग पैड्स भी ले जाते हैं.

दो पायलट्स की जोड़ी में एक विमान उड़ाता है, जबकि दूसरा आराम करता है. यह सुनिश्चित करता है कि दोनों तरोताजा रहें और मिशन में कोई चूक न हो. रेडियो साइलेंस और दुश्मन के इलाके में उड़ान भरने का दबाव झेलने के लिए पायलट्स को खास मनोवैज्ञानिक ट्रेनिंग दी जाती है.

B-2 को मूल रूप से सोवियत संघ पर न्यूक्लियर हमले के लिए डिजाइन किया गया था. लेकिन समय के साथ इसकी भूमिका बदल गई, और अब यह पारंपरिक और न्यूक्लियर दोनों तरह के हथियारों को ले जाने में सक्षम है. इसकी स्टील्थ तकनीक और लंबी दूरी की क्षमता इसे अमेरिका का सबसे महत्वपूर्ण हथियार बनाती है.

 

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