चीन के शानदोंग प्रांत के जिनान शहर के 39 वर्षीय झेंग गांग आज इंटरनेट पर “गुड समैरिटन” (भला इंसान) के नाम से मशहूर हो रहे हैं. वजह है उनका अनोखा कदम. उन्होंने अस्पताल में सामान्य परिवारों से आने वाले मरीजों के परिजनों के लिए मुफ्त आश्रय गृह (House of Compassion) खोला है. यह विचार उन्हें तब आया जब उन्होंने देखा कि कई परिजन मजबूरी में अस्पताल के फर्श पर रात गुजार रहे हैं.
बीमारी ने बदली ज़िंदगी
साल 2020 में झेंग गांग को मेडिकल चेकअप के दौरान ब्रेन ट्यूमर का पता चला. उन्हें 45 दिनों तक शानदोंग यूनिवर्सिटी के क़ीलू अस्पताल में भर्ती रहना पड़ा. इलाज के बाद जब वह स्वस्थ हो गए और चेकअप के लिए अस्पताल गए, तो उन्होंने देखा कि कई लोग अपने मरीजों की देखभाल करते-करते खुद परेशानियों से जूझ रहे हैं- ना सही ठिकाना, ना आराम की जगह.
उन्हें अपने परिवार के संघर्ष याद आए और यहीं से उनकी सोच बदली.
‘हाउस ऑफ कम्पैशन’ की शुरुआत
साल 2022 में झेंग ने अस्पताल के पास एक फ्लैट किराए पर लिया. उन्होंने उसमें बंक बेड लगवाए और उसे नाम दिया- हाउस ऑफ कम्पैशन.
खर्च और सुविधा
नई नौकरी: मेडिकल एस्कॉर्ट
इलाज से उबरने के बाद झेंग ने एक नया काम भी शुरू किया—मेडिकल एस्कॉर्ट का. वे मरीजों और उनके परिजनों को अस्पताल में ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराने, जरूरी प्रक्रियाएं पूरी करने, और बड़े अस्पतालों में रास्ता दिखाने में मदद करते हैं. यह काम आजकल चीन में खासकर बुजुर्गों और अकेले रहने वालों के लिए काफी पॉपुलर हो रहा है.
लोगों का प्यार और ऑनलाइन सराहना
हर दिन काम खत्म करने के बाद झेंग हाथ में कार्डबोर्ड पर लिखा नोटिस लेकर खड़े हो जाते हैं और जिन लोगों को परेशानी में देखते हैं, उन्हें अपने घर आने का न्योता देते हैं. लोग कहते हैं कि वह खुद परेशानी झेल चुके हैं, इसलिए जानते हैं कि दूसरों की मदद करना कितना जरूरी है. वह बीमारियों के बोझ तले दबे लोगों के लिए उम्मीद की रोशनी हैं.
मानवता की मिसाल
झेंग गांग की पहल यह साबित करती है कि कठिनाइयों से निकला इंसान दूसरों के लिए आसरा बन सकता है. उनके इस करुणा के घर ने न सिर्फ सैकड़ों परिवारों की मदद की है, बल्कि यह भरोसा भी जगाया है कि दुनिया में अब भी अच्छे लोग मौजूद हैं.
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