आमतौर पर जब भी कोई स्पर्म को डोनेट करना है, तो इस बात की पुष्टि करना आवश्यक है कि क्या स्पर्म पूरी तरह से हेल्दी है या नहीं. क्योंकि अगर ऐसा नहीं होता है तो जहां भी इस अनहेल्दी स्पर्म का इस्तेमाल होगा, वहां दिक्कत हो सकती है. ऐसा ही एक मामला यूरोप में सामने आया है. यहां एक स्पर्म डोनर ने स्पर्म डोनेट किया. उसके स्पर्म में एक जीन है जो कैंसर पैदा कर सकता है. उसके डोनेट किए गए स्पर्म से बच्चों की सेहत पर आ बनी है.
क्या है मामला?
यूरोप के एक स्पर्म बैंक एक व्यक्ति द्वारा स्पर्म डोनेट किया जाता है. उसके स्पर्म से 67 से ज्यादा बच्चे जन्म लेते है. लेकिन दिक्कत हैं कि उसके स्पर्म में एक जीन के कारण कुछ परेशानियां है. जिनका खामियाज़ा इन बच्चों को उठाना पड़ सकता है. बल्कि 10 बच्चे को खामियाज़ा उठा भी रहे हैं.
क्या हुआ है बच्चों को?
2008-2015 के बीच इस व्यक्ति ने कई बार स्पर्म डोनेट किया है. जिससे कितने बच्चे पैदा हुए है उसकी सटीक संख्या मालूम नहीं है. अब क्योंकि इस व्यक्ति के स्पर्म में एक जीन है जो कैंसर पैदा करने की क्षमता रखता है. अब उन सभी बच्चों को ट्रेस करना मुश्किल हो रहा है जिन्होंने उसके स्पर्म से जन्म लिया है.
फिलहाल के लिए 67 में से 46 बच्चों का टेस्ट किया जा चुका है. इसमें से 23 बच्चे ऐसे हैं जिनमें उस व्यक्ति के स्पर्म का वह जीन मौजूद है. तो वहीं 10 बच्चों की जांच में पाया गया कि वह ब्लड कैंसर के शिकार हो चुके हैं.
क्या कहना है यूरोपियन स्पर्म बैंक का
बैंक ने इस बात की पुष्टि की है कि व्यक्ति के स्पर्म में TP53 नामक जीन मौजूद है. जिससे कैंसर होने की संभावना बढ़ सकती है. स्पर्म बैंक अपनी तरफ से सफाई में कह रहा है कि एक डोनर से केवल 75 बच्चों तक की लिमिट है. लेकिन इस मामले में सटीक संख्या को लेकर शक अभी भी है. बैंक के अनुसार पहली बार डोनेशन के दौरान TP53 जीन वेरियंट का पता नहीं था, कि इससे कैंसर हो सकता है. साथ ही व्यक्ति मेडिकली पूरी तरह फिट था.
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
दरअसल आजकल आईवीएफ के जरिए भी लोग बच्चा कर रहे हैं, तो वहीं कुछ लोग डोनर का सहारा लेते हैं. ऐसे में विशेषज्ञों की राय जानना बेहद जरूरी है. वह कहते हैं कि एक डोनर से 75 बच्चे तक करना भी किसी जेनेटिक बीमारी को जन्म दे सकता है. इसकी वजह है कि हर डोनर को पूरी तरह से इतना चैक नहीं किया जाता, जिससे कि रेयर से रेयर जीन पकड़ में नहीं आ पाता. क्लिनिक्स को भी एक बेहतर तरीके का सिस्टम बनाना चाहिए, जिससे हर डोनर के स्पर्म के इस्तेमाल को ट्रैक किया जा सके.