Google Doodle Today: खौफ और दहशत की दास्तां बयां करती Anne Frank की वो डायरी, जिसके प्रकाशन की 75वीं वर्षगांठ मना रहा है गूगल डूडल

आज गूगल डूडल एनी फ्रैंक की डायरी की 75वीं वर्षगांठ मना रहा है. एनी फ्रैंक की इस डायरी में दूसरे विश्व युद्ध के कई राज दफन हैं.

Anne Frank की डायरी
शताक्षी सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 25 जून 2022,
  • अपडेटेड 8:54 AM IST
  • जब छिप कर भाग रहा था एनी का पूरा परिवार
  • परिवार में अकेले बचे थे एनी के पिता

Google Doodle Today: आज का गूगल डूडल यहूदी जर्मन-डच डायरिस्ट और होलोकॉस्ट पीड़ित एनी फ्रैंक का सम्मान कर रहा है. दरअसल आज एनी फ्रैंक की डायरी के प्रकाशन की 75वीं वर्षगांठ है. वैसे तो एनी ने ये डायरी अपने जिंदगी के 13 से 15 साल के बीच लिखी थी पर आज तक के सबसे  व्यापक रूप से पढ़े जाने वाले खातों में से एक है. डूडल आर्ट डायरेक्टर थोका मायर द्वारा चित्रित, 14 स्लाइड्स में उनकी डायरी के वास्तविक अंश हैं, जो वर्णन करते हैं कि उन्होंने और उनके दोस्तों और परिवार ने दो साल से अधिक समय तक छुपाने का क्या अनुभव किया. आज उनकी डायरी के प्रकाशन की 75वीं वर्षगांठ है, जिसे व्यापक रूप से आधुनिक इतिहास की सबसे आवश्यक पुस्तकों में से एक माना जाता है.

कौन है एनी फ्रैंक?
एनी फ्रैंक का जन्म 12 जून, 1929 को जर्मनी के फ्रैंकफर्ट में हुआ था, लेकिन उस वक्त तेजी से बढ़ रही नाजी पार्टी के अल्पसंख्यकों के प्रति भेदभाव और हिंसा से बचने के लिए उनका परिवार जल्द ही एम्स्टर्डम, नीदरलैंड चला गया. जिस वक्त दूसरा विश्व युद्ध शुरू हुआ, उस वक्त एनी केवल 10 साल की थीं. इसके तुरंत बाद, जर्मनी ने नीदरलैंड पर आक्रमण किया और और उनका परिवार उसमें तबाह हो गया. इस युद्ध में नाजी शासन खास तौर पर यहूदी लोगों को टारगेट कर रहा था. जिससे यहूदी लोगों को कारावास, निष्पादन, या जबरन स्थानांतरण का सामना करना पड़ रहा था.

जब छिप कर भाग रहा था एनी का पूरा परिवार
स्वतंत्र और सुरक्षित रूप से जीने में असमर्थ, लाखों यहूदियों को अपने घरों से भागने या छिपने के लिए मजबूर होना पड़ा. 1942 में, एनी के परिवार ने उत्पीड़न से बचने के लिए उनके पिता ऑटो फ्रैंक के ऑफिस के एक सीक्रेट चेंबर में छुप कर रहना पड़ा क्योंकि नाजी उस वक्त ढूंढ़ कर यहूदियों को मार रहे थे. लाखों लोगों की तरह एनी का परिवार भी सुरक्षा पाने के लिए लगभग सब कुछ पीछे छोड़ने के लिए मजबूर हो गया. हालांकि एनी का एक सामान हमेशा उनके साथ रहता था, और वो था उनकी डायरी, जो उन्हें कुछ सप्ताह पहले ही उनके जन्मदिन पर मिली थी.  एनी ने अपनी इस डायरी में उस सीक्रेट चैंबर में अपने परिवार और कुछ अन्य लोगों के साथ बिताए गए समय का पूरा विवरण लिखा है. 

डायरी में दफन हैं कई राज 
दरअसल इस सीक्रेट चैंबर में एनी की मां एडिथ फ्रैंक, उनके पिता ऑटो फ्रैंक, और उनकी बहन मार्गो फ्रैंक के अलावा एक और यहूदी परिवार आया था, जो जर्मनी के ही यहूदी थे, उनका नाम वान पेल्स था, उनके साथ उनकी पत्नी ऑगस्टे वान पेल्स और उनका बेटा पीटर वॉन पेल्स भी रहते थे. वान पेल्स को एनी ने अपनी डायरी में वान डान्स कहा है. कहानी के आठवें किरदार हैं फ्रिट्स फेफर, जिन्हें एनी की डायरी में एल्बर्ट ड्यूसेल कहा गया है, जो वान पेल्स के डेंटिस्ट थे. 

अपनी डायरी में एनी  ने अपनी मां, बहन मिसेज वान डान्स और ड्यूसेल के साथ होने वाली नोकझोंक के बारे में भी लिखा है. इसके अलावा वहां होने वाली लड़ाई के दौरान, गोली और तोप गोलों की आवाजों से डर की घटनाएं भी इस डायरी में लिखी गई हैं. दरअसल एनी एक लेखक बनना चाहती थीं. तभी 28 मार्च. 1944 को डच शिक्षा मंत्री गैरिट बॉक्सटीन ने एक रेडियो प्रोग्राम में घोषणा करते हुए कहा था कि युद्ध के बाद लेटर और डायरी जैसी चीजों इस खौफनाक मंजर की गवाही के तौर पर इस्तेमाल की जाएगी.

ऐना चाहती थीं, कि उनकी डायरी पब्लिश हो, तो उसने अपनी डायरी को रीराइट किया और एडिट किया. इस दौरान मार्गो और पीटर की पढ़ाई जारी थी. एनी पढ़ाई में काफी औसत छात्र थी, जबकि मार्गो पढ़ाई में काफी अच्छी थी. एनी ने अपनी डायरी में स्कूल की पढ़ाई से लेकर अपनी ख्वाहिशों तक के बारे में उस डायरी में लिखा था. डायरी में एनी ने ये भी बताया था कि कैसे वो सूरज की रोशनी को देखने और आसमान के नीचे खड़े रहने के लिए तरस जाती थी. इन सब से बीच एनी को वान डान्स के बेटे पीटर से प्यार हो गया था. जिसका जिक्र एनी ने अपनी डायरी में किया था, ये दोनों घंटों बैठकर जंगलों के पास बातें करते थे. एनी ने अपनी डायरी की पहली एंट्री 12 जून, 1942 में की और आखिरी एंट्री 1 अगस्त, 1944 को. क्योंकि 4 अगस्त को ये सभी लोग गिरफ्तार कर, यातना शिविरों में भेज दिए गए थे. इन लोगों को सबसे पहले हॉलैंड के वेस्टरबोर्क ट्रांजिट कैंप में भेजा गया. हालांकि तब तक ये साफ नहीं हुआ था, कि उन लोगों के बारे में किसने बताया था. 

हालांकि कई बार ऐसा भी कहा जाता है कि इमारतों की तलाशी के वक्त उन्हें गिरफ्तार किया गया था. जब इन्हें यातना शिविर ले जाया गया तो पुरुषों और महिलाओं को अलग-अलग शिविरों में रखा गया. यातना शिविर में जाने से पहले ही एनी की मां की 6 जनवरी, 1944 को भूख के कारण मौत हो गई थी. 4 अगस्त  को पूरे परिवार के पकड़े जाने के बाद 27 जनवरी, 1945 को सोवियत यूनियन के सैनिकों ने ऑटो फ्रैंक आजाद कराया. इसी बीच फरवरी-मार्च 1945 में वहां गंदगी के कारण टाइफस नाम की एक बीमारी फैली, उन शिविरों में न तो ठीक से कुछ खाने के लिए मिलता, न ही ठंड से बचने के लिए. यहां सबसे मजदूरी करवाई जाती थी. क्रूरता इतनी थी, कि अगर कोई सांस लेने के लिए दो पल रुक जाता तो सीधा गोली मार दी जाती थी. धीरे-धीरे एनी और उनकी बहन मार्गों भी इस बीमारी की चपेट में आ गए, और पहले मार्गों फिर एनी कि उसी कैंप में मौत हो गई. आज दोनों बहनों की कब्र एक ही जगह पर बनाई गई है. 

परिवार में अकेले बचे थे एनी के पिता
फ्रैंक परिवार की बदकिस्मती इस कदर थी, कि 12 अप्रैल, 1945 को ब्रिटेन के सैनिकों ने बर्जन बेल्सन शिविर को जब आजाद करवा दिया, तब तक एनी और मार्गों की मौत हो चुकी थी, हालांकि उनके पिता ऑटो फ्रैंक अभी भी जिंदा थे, आजाद होने के बाद ऑटो फ्रैंक ने बाहर आकर सभी को ढूंढा पर कोई नहीं मिला.

70 भाषाओं में पब्लिश हुई डायरी
एनी की पहली डायरी डच टाइटल के साथ, 'द सीक्रेट एनेक्स: डायरी लेटर्स फ्रॉम जून 12, 1942 टू 1 अगस्त, 1994' प्रकाशित हुआ. बाद में फिर इसे 70 से ज्यादा भाषाओं में पब्लिश किया गया. एनी की डायरी 'द डायरी ऑफ अ यंग गर्ल एनी फ्रैंक' के नाम से पब्लिश की गई. 


 

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