मौत के बाद जमीन-जायदादा का बंटवारा UAE में है पेचीदा, कानून के साथ-साथ यहां चलता शरिया... जाने कैसे करें अपने सपनों को पूरा

यूएई में अगर आपने पंजीकृत वसीयत तैयार नहीं करवाई है तो आपकी संपत्ति आपके मरने के बाद शायज उन्हें न मिल पाए, जिनके लिए आपने उसे बनाया था. ऐसा इस वजह से हैं क्योंकि यहा बाय डिफॉल्ट शरिया कानून लागू होता है.

gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 21 जुलाई 2025,
  • अपडेटेड 1:35 PM IST

इंसान अपनी पूरी ज़िंदगी भाग-दौड़ कर पैसा कमाता है, घर-मकान खरीदता है, परिवार के लिए सेविंग करता है, लेकिन क्या हो अगर अचानक उसकी मौत हो जाए तो. अगर भारत की नज़र की देखें तो उसका सबकुछ उसके परिवार को मिल जाएगा. लेकिन अगर मामला संयुक्त अरब अमीरात का है, तो पेंच फस जाएगा. दरअसल यहां मौत के बाद संपत्ति के पास ओवर होने को लेकर मामला ही अलग है. अगर आपने जमीन-जायदाद परिवार के लिए जोड़ी है तो जरूरी है कि आप एक पंजीकृत वसीयत तैयार करवा लें, नहीं तो यहां चलने वाला शरिया आपकी संपत्ति को अपके इरादों से छीन लेगा.

क्या मानता है संयुक्त अरब अमीरात का कानून
संयुक्त अरब अमीरात का कानून कहता है कि अगर कोई भी यहां का नागरिक यह सोचता है कि उसके मरने के बाद उसकी संपत्ति उसके बीवी-बच्चों को मिलेगी, तो वह गलत सोचता है. दरअसल अगर उसने पंजीकृत वसीयत तैयार नहीं करवाई है, तो यहां का कानून खुद ही उसकी संपत्ति को शरिया कानून के हिसाब से बांट देगा. ऐसा करने से उसे कोई रोक भी नहीं सकता, क्योंकि यहां की पॉलिसी ही यही है.

क्या कहता है शरिया का कानून

शादीशुदा के लिए

  • बेटे को 36.11 प्रतिशत.
  • बेटी को 18.06 प्रतिशत.
  • पार्टनर को 12.50 प्रतिशत.
  • मां को 16.67 प्रतिशत.
  • बाप को 16.67 प्रतिशत.

इसके अलावा कुछ मामलों में संपत्ति रिश्तेदारों में बंट सकती है. जिसके बाद पार्टनर को संपत्ति का 1/8 हिस्सा ही मिलता है. वहीं अगर शादीशुदा नहीं है तो आपकी संपत्ति आपके दूर के रिश्तेदारों को मिल सकती है. जिसका आपने कभी सोचा भी नहीं होगा.

कैसे बचे शरिया से
अगर आप चाहते हैं कि संयुक्त अरब अमीरात की जगह, आपके मूल देश का कानून लागू हो, तो इसके लिए आपको संयुक्त अरब अमीरात का ही वकील चुनना पड़ेगा. जो आपका केस लड़े. इस कानूनी जंग में काफी समय और पैसा खर्च होता है. साथ ही इस बात की कोई गारंटी नहीं कि अदालत का फैसला आपके हक में ही आए.

क्या होता है बैंक राशि का
अगर कोई बैंक का खाता है, फिर चाहे वह ज्वाइंट ही क्यों न हो, मृत्यु के मामले में उसको फ्रीज कर दिया जाता है. यानी उस खाते से कोई लेन-देन संभव नहीं होगा. खाता तब तक फ्रीज रहेगा जब तक अदालत मृतक के उत्ताधिकारियों के नाम सामने न रख दें. ऐसे खाते कई साल तक फ्रीज़ रह सकते हैं, जिसके कारण परिवार महीनों और सालों तक उस खाते में पड़े पैसे को इस्तेमाल नहीं कर सकते.

क्या फायदा है पंजीकृत वसीयत का

  • वसीयत व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसकी संपत्ति के वितरण का कानूनी दस्तावेज होती है.
  • अगर कोई व्यक्ति पहले से वसीयत तैयार कर लेता है, तो वह अपने उत्तराधिकारियों का चयन कर सकता है.
  • वसीयत यह स्पष्ट करती है कि कौन-से व्यक्ति को कितनी संपत्ति दी जाएगी.
  • पंजीकृत वसीयत कानूनी रूप से अधिक सुरक्षित होती है और इसे चुनौती देना मुश्किल होता है.
  • यह सुनिश्चित करती है कि व्यक्ति की संपत्ति का वितरण उसकी इच्छानुसार ही होगा.
  • वसीयत से संपत्ति के बंटवारे में विवाद की संभावना कम हो जाती है.
  • पंजीकृत वसीयत यह भी सुनिश्चित करती है कि संपत्ति पर शरिया कानून स्वतः लागू न हो, यदि व्यक्ति की इच्छा उसके विपरीत हो.
  • यह दस्तावेज कोर्ट में भी मान्य होता है और उत्तराधिकार साबित करने के लिए उपयोगी होता है.
  • वसीयत कभी भी रद्द या संशोधित की जा सकती है, जब तक वसीयतकर्ता जीवित है और मानसिक रूप से सक्षम है.

कहां से बनेगी पंजीकृत वसीयत
संयुक्त अरब अमीरात में पंजीकृत वसीयत बनवाने के लिए दो अथॉरिटी है. पहली डीआईएफसी विल सर्विस, जो गैर-मुसलिमों के लिए है. दूसरी, अबू धाबी जुडीशियल डिपार्टमेंट, जो गैर-यूएई नागरिकों के लिए है.

 

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