जापान के शिकोकू द्वीप पर स्थित इया वैली के बीचों-बीच बसा नागोरो गांव एक बेहद अनोखी और दिलचस्प जगह है. यह छोटा-सा गांव अपनी गुड़ियों के लिए दुनिया भर में मशहूर है. पहले यहां करीब 300 लोग रहते थे, लेकिन अब यहां की आबादी 30 से भी कम है. हैरानी की बात यह है कि यहां इंसानों से ज्यादा गुड़ियां रहती हैं. आज इस गांव में लगभग 270 से ज्यादा इंसानी आकार की गुड़ियां सड़कों, घरों, स्कूलों और दुकानों में दिखाई देती हैं.
गुड़ियों की शुरुआत कैसे हुई?
इस अनोखे गांव की कहानी शुरू होती है त्सुकिमी आयानो से, जो अब 70 साल की हैं. वह 2000 के दशक की शुरुआत में अपने पिता की देखभाल के लिए नागोरो लौटीं. उस समय गांव लगभग सुनसान हो चुका था.
एक दिन उन्होंने देखा कि चिड़ियां उनके बगीचे के बीज खा रही हैं, तो उन्होंने अपने पिता जैसी दिखने वाली एक पुतली (गुड़िया) बनाई ताकि चिड़ियों को भगाया जा सके. यहीं से, उन्होंने गुड़ियों बनाना शुरू किया और 20 सालों में 400 से ज्यादा गुड़ियां बना डालीं. इनमें से करीब 350 गुड़ियां गांवभर में रखी गई हैं.
गांव की सड़कों पर बसी गुड़ियों की दुनिया
आज नागोरो की गलियों में घूमना किसी अनोखे सपने जैसा लगता है. कुछ गुड़ियां बस स्टॉप पर बैठी रहती हैं, मानो बस का इंतजार कर रही हों. कुछ नदी किनारे मछली पकड़ती नजर आती हैं. कुछ खाली दुकानों के सामने खड़ी दिखती हैं. पुराने स्कूल की कक्षाओं में, बच्चों जैसी गुड़ियां बेंच पर बैठी हैं, जैसे पढ़ाई कर रही हों. कुछ गुड़ियां झूले पर खेलती दिखती हैं, तो कुछ स्पोर्ट्स डे में भाग लेती हुई नजर आती हैं.
त्सुकिमी आयानो ने कई गुड़ियों को उन लोगों के असली कपड़े भी पहनाए हैं, जिनकी याद में ये बनाई गई हैं. हर गुड़िया एक अलग कहानी बयां करती है- कोई किसान है, कोई मजदूर, कोई बच्चे हैं और कोई बुजुर्ग.
पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र
नागोरो गांव आज पर्यटकों के लिए खास जगह बन चुका है. लोग यहां आकर इस गुड़ियों की बसी हुई दुनिया को देखकर हैरान रह जाते हैं. इसके चारों ओर फैली इया वैली की खूबसूरत पहाड़ियां और शांत वातावरण इस गांव को और भी खास बना देते हैं. टोक्यो से करीब 550 किलोमीटर दूर बसा यह गांव ऐसा लगता है मानो समय के किसी कोने में ठहर गया हो. यहां की गुड़ियां उन लोगों की यादों को संजोए हुए हैं, जो कभी इस गांव में रहते थे.
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