पाकिस्तान में इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पास होने के बाद आज यानी सोमवार को पाकिस्तान मुस्लिम लीग -एन (PML-N) के अध्यक्ष शाहबाज शरीफ (Shahbaz Sharif) को प्रधानमंत्री पद की शपथ ले सकते हैं. इमरान खान के सत्ता से जाने के बाद देश में जिस तरह के आर्थिक हालात बने हैं उससे जाहिर है कि शहबाज शरीफ के सामने अभी से बड़ी चुनौती खड़ी है. डगमगाती अर्थव्यवस्था को संभालने के साथ शाहबाज शरीफ के सामने और भी की तरह की दुश्वारियां खड़ी हैं आईये उनपर एक नजर डालते हैं.
डगमगाती अर्थव्यवस्था को संभालना
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था लगातार पटरी से उतर रही है. कर्ज की वजह से पाकिस्तान के विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार गिरावट देखी जा रही है. स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान (SBP) के आंकड़ों के मुताबिक पाकिस्तान की विदेशी मुद्रा भंडार में साप्ताहिक आधार पर 6.04 पर्सेंट की कमी दर्ज की गई है. स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान के मुताबिक 1 अप्रैल, 2022 तक स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान के पास 1,131.92 करोड़ डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार था. यह रिजर्व 26 जून, 2020 के बाद सबसे निचले स्तर पर आ गया है. व्यापार घाटे में भी लगातार बढ़ोतरी हो रही है. साल 2022 की दूसरी तिमाही के दौरान पाकिस्तान का कुल कर्ज 5,272 करोड़ पाकिस्तानी रुपये से ज्यादा है. आईएमएफ ने पाकिस्तान को 1188 करोड़ पाकिस्तानी रुपये का कर्ज दे रखा है.
बढ़ती मंहगाई पर शिंकजा कसना होगा मुश्किल
राजनीति उथल -पुतल के बाद पाकिस्तान में मंहगाई कापी बढ़ी है. देश में कोरोना महामारी के बाद बिगड़ी अर्थव्यवस्था अभी काबू नहीं हुई थी और अब सरकार जाने के बाद से बढ़ी महंगाई एक नी चुनौती बन कर उभरी है. इस महंगाई का सीधा असर आम जनता की पॉकेट पर पड़ा है. इमरान खान के खिलाफ विरोध की एक वजह बढ़ती महंगाई भी रही है. ऐसे में इस पर लगाम लगाना बड़ी चुनौती होगी.
सेना के साथ सामंजस्य
पाकिस्तान की सत्ता में सेना (Army) की अहमियत किसी से छिपी नहीं है. सरकार बनाने से लेकर उसे गिराने तक में सेना की भूमिका रहती है. शहबाज शरीफ के लिए यह मसला और भी बड़ा है. दरअसल शहबाज की पार्टी के रिश्ते सेना के साथ कभी अच्छे नहीं रहे हैं. जब उनके भाई नवाज शरीफ प्रधानमंत्री थे तो सेना के साथ टकराव की खबरें लगातार सामने आती रहती थी. ऐसे में इस बाद शहबाज के सामने सेना से साथ अपने रिश्ते सुधारने की चुनौती होगी.