कभी जूते पॉलिश किए तो कभी अखबार बेचे… गरीब मोहल्ले से उठकर बने ‘दुनिया के सबसे दयालु जज’! फ्रैंक कैप्रियो की संघर्षों से भरी ज़िंदगी

कैप्रियो के फैसलों और उनके मानवीय अंदाज़ की छोटी-छोटी क्लिप्स जब सोशल मीडिया पर आईं, तो देखते ही देखते वह इंटरनेट सेंसेशन बन गए. यूट्यूब और फेसबुक पर उनके वीडियोज़ को अरबों बार देखा गया. उनके वीडियो में कभी कोई बच्चा हंसते हुए फैसला करता, कभी कोई बूढ़ा इंसाफ पाकर रो पड़ता. लोग उन्हें सिर्फ जज नहीं, बल्कि पिता जैसा सहारा मानते थे.

फ्रैंक कैप्रियो
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 21 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 7:13 PM IST

दुनिया उन्हें “काइंडेस्ट जज” (सबसे दयालु जज) कहती थी. कोर्ट में बैठे उस शख्स की मुस्कान से डर नहीं, राहत मिलती थी. छोटे-मोटे ट्रैफिक चालान से परेशान लोगों को उन्होंने सज़ा से ज्यादा इंसानियत दी. लेकिन शायद कम ही लोग जानते हैं कि जज फ्रैंक कैप्रियो (Frank Caprio) ने यह मुकाम आसान रास्ते से हासिल नहीं किया. वह कभी रोड आइलैंड (Rhode Island) के एक गरीब मोहल्ले फेडरल हिल की गलियों में बड़े हुए, जहाँ परिवार के पास ज्यादा साधन नहीं थे, लेकिन सपने आसमान छूते थे.

88 साल की उम्र में pancreatic cancer से लंबी जंग लड़ते हुए उनका निधन हो गया. पीछे छोड़ गए एक ऐसी विरासत, जिसने दुनिया को सिखाया कि इंसाफ सिर्फ सज़ा देने से नहीं, बल्कि दया और करुणा से भी हो सकता है.

बचपन की तंगी, पिता की मेहनत

फ्रैंक कैप्रियो का जन्म बेहद साधारण परिवार में हुआ. उनके पिता एक दूधवाले थे, जो सुबह-सुबह साइकिल पर दूध पहुंचाते थे. मां गृहिणी थीं और घर का खर्च बहुत मुश्किल से चलता था. तीन भाइयों में से दूसरे नंबर पर पैदा हुए फ्रैंक ने बचपन से ही समझ लिया था कि ज़िंदगी आसान नहीं है.

गरीबी का आलम ऐसा था कि कभी स्कूल फीस भरने के लिए उधार लेना पड़ता, तो कभी कपड़े पुराने ही सीते जाते. लेकिन फ्रैंक ने हिम्मत नहीं हारी. वह कहते थे- “मेरे पिता ने मुझे मेहनत और ईमानदारी का सबक दिया, वही मेरी सबसे बड़ी दौलत बनी.”

मेहनत-मजदूरी से शुरू हुई पढ़ाई

स्कूल और कॉलेज का सफर आसान नहीं था. उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखने के लिए कई छोटे-मोटे काम किए. कभी जूते पॉलिश किए, कभी अखबार बेचे. लेकिन पढ़ाई के साथ उनका जुनून था- लोगों के लिए कुछ करना, न्याय के लिए खड़ा होना.

कानून की पढ़ाई पूरी करने के बाद जब उन्होंने वकालत शुरू की तो कई बार उन्हें कोर्टरूम में अपनी साधारण पृष्ठभूमि की वजह से तिरछी नज़रों का सामना करना पड़ा. लेकिन धीरे-धीरे उनकी मेहनत रंग लाई और 1985 में उन्हें प्रोविडेंस म्यूनिसिपल कोर्ट (Providence Municipal Court) का जज बनाया गया.

इंसान के साथ इंसानियत

जहाँ ज्यादातर जज कानून की किताबों को अंतिम सत्य मानते हैं, वहीं कैप्रियो का मानना था कि कानून के पीछे इंसानियत छिपी होती है. उनका मशहूर शो “Caught in Providence” इसी सोच की पहचान बन गया.

कोर्ट में जब कोई गरीब माँ अपने बच्चे के साथ आती और कहती कि जुर्माना भरने के पैसे नहीं हैं, तो कैप्रियो अक्सर जुर्माना माफ कर देते. कई बार उन्होंने बच्चों को जज की कुर्सी पर बैठाकर कहा- “तुम फैसला सुनाओ.” यह नज़ारा लोगों के दिल को छू जाता.

‘जज विद अ ह्यूमन हार्ट’ बने सोशल मीडिया स्टार

कैप्रियो के फैसलों और उनके मानवीय अंदाज़ की छोटी-छोटी क्लिप्स जब सोशल मीडिया पर आईं, तो देखते ही देखते वह इंटरनेट सेंसेशन बन गए. यूट्यूब और फेसबुक पर उनके वीडियोज़ को अरबों बार देखा गया.

उनके वीडियो में कभी कोई बच्चा हंसते हुए फैसला करता, कभी कोई बूढ़ा इंसाफ पाकर रो पड़ता. लोग उन्हें सिर्फ जज नहीं, बल्कि पिता जैसा सहारा मानते थे.

सिस्टम पर करारा प्रहार

कैप्रियो केवल दया दिखाने तक सीमित नहीं थे, बल्कि उन्होंने सिस्टम की खामियों को भी उजागर किया. वह कहते थे- “अमेरिका में 90% गरीब लोग हेल्थकेयर, मकान और ट्रैफिक उल्लंघन जैसे मामलों में वकील नहीं कर पाते और अकेले लड़ते हैं. यह न्याय का नहीं, असमानता का सिस्टम है.”

उन्होंने शिक्षा व्यवस्था पर भी सवाल उठाए. उनका मानना था कि “इंसान का मूल्य उसकी मार्कशीट से नहीं, उसके चरित्र से तय होना चाहिए.”

कैंसर से जंग और आख़िरी सफर

2023 में रिटायर होने के बाद उन्होंने अपनी ज़िंदगी परिवार और सोशल सर्विस को समर्पित कर दी. लेकिन जल्द ही उनकी सेहत बिगड़ने लगी. Pancreatic cancer से उन्होंने लंबी लड़ाई लड़ी.

कुछ दिन पहले ही उन्होंने फेसबुक पर एक वीडियो डाला था, जिसमें कहा- “मैं अस्पताल में हूँ, थोड़ा setback हुआ है… मुझे अपनी दुआओं में याद रखना.”

यह सुनकर उनके चाहने वालों की आंखें भर आईं.

20 अगस्त 2025 को 88 साल की उम्र में उन्होंने आखिरी सांस ली.

परिवार और चाहने वालों की भावुक विदाई

उनकी फैमिली ने सोशल मीडिया पर लिखा- “वह सिर्फ जज नहीं थे, बल्कि एक अद्भुत पति, पिता, दादा और इंसान थे. उनकी करुणा और दयालुता ने लाखों लोगों के दिलों पर अमिट छाप छोड़ी है.”

रोड आइलैंड के गवर्नर ने कहा- “जज कैप्रियो ने इंसाफ को इंसानियत से जोड़ा. उन्होंने दिखाया कि न्याय का मतलब केवल सज़ा नहीं, बल्कि सहानुभूति भी है.”

गरीब बच्चे से लेकर दुनिया का सबसे प्यारा जज- यही है विरासत

फ्रैंक कैप्रियो की ज़िंदगी इस बात का सबूत है कि अगर हौसला और मेहनत हो, तो गरीबी और हालात इंसान को रोक नहीं सकते.

गरीब मोहल्ले का वो बच्चा जिसने कभी जूते पॉलिश कर अपनी पढ़ाई पूरी की, वही इंसान एक दिन दुनिया के सबसे दयालु जज के तौर पर मशहूर हुआ.

 

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