अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप कतर के दौरे पर हैं. इस दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति और कतर के अमीर शेख तामिन बिन हमद अल-थानी के बीच 1.2 ट्रिलियन डॉलर की अलग-अलग डील हुई. कतर का अमीरी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि अमीर शेख तामिन ने अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंफ को 3400 करोड़ का लग्जरी विमान गिफ्ट दिया है. हालांकि कतर हमेशा से इतना अमीर नहीं था. यह देश 1930-40 की दशक में गरीबी की मार झेल रहा था. कतर के पास खाने तक के पैसे नहीं थे. लेकिन जब इस देश में तेल और गैसे के भंडार मिले तो इसकी किस्मत बदल गई.
साल 1996 से पहले कतर में 3.2 लाख लोग रहते थे. यह एक बंजर रेगिस्तान था. कतर के अमीर अल-थानी के पास ब्रिटिश शाही परिवार से भी ज्यादा संपत्ति है. चलिए आपको बताते हैं कि कैसे कतर इतना अमीर हो गया.
गरीबी की मार झेल रहा था कतर-
गरीबी की मार झेल रहे कतर को साल 1971 में ब्रिटेन से आजादी मिली. इसके बाद इस कतर की किस्मत बदली. इसी साल कतर और शेल ने तेल की खोज में फारस की खाड़ी के नीच एक ऐसा कुछ पाया, जिसे वो बेकार समझ रहे थे. लेकिन उनको नहीं पता था कि इससे उनकी किस्मत बदलने वाली है. यह प्राकृतिक गैस था. अब तक के सबसे बड़े प्राकृतिक गैस भंडार की खोज हुई थी. इस क्षेत्र में ग्लोबल गैस भंडार का करीब 10 फीसदी हिस्सा था. लेकिन कतर इसका फायदा नहीं उठाया, क्योंकि उसके पास तकनीक नहीं थी. काफी समय तक इसका इस्तेमाल नहीं हो पाया.
सत्ता के साथ किस्मत भी बदली-
साल 1995 का साल कतर के लिए सबसे बेहतर रहा. अभी तक कतर पर अमीर खलीफा बिन हमद अल थानी का शासन था. लेकिन इस साल अमीर के बेटे शेख हमद बिन खलीफा अल थानी ने तख्तापलट कर दिया और सत्ता की कमान अपने हाथों में ले ली.
नए अमीर शेख हमद बिन खलीफा अल थानी को नेचुरल गैस में संभावनाएं दिखी. उन्होंने इसपर 20 बिलियन डॉलर का दांव लगाया. कई बड़े-बड़े एक्सपर्ट्स ने इसकी बेवकूफी भरा कदम कहा. लेकिन अमीर का ये कदम कतर का इतिहास बदलने वाला साबित हुआ. नेचुरल गैस भंडार ने कतर को अमीरों की लिस्ट में ला खड़ा किया.
दुनिया का सबसे बड़ा LNG एक्सपोर्टर-
साल 2006 में कतर दुनिया का सबसे बड़ा एलएनजी एक्सपोर्टर बन गया. साल 1990 में उनकी प्रति व्यक्ति जीडीपी 2755 डॉलर थी. लेकिन 30 सालों में साल 2020 में ये 50 हजार डॉलर से अधिक हो गई. इस देश में पैसों की बाढ़ आ गई. कतर ने इन पैसों को जो इस्तेमाल किया, वो काफी महत्वपूर्ण है.
दुनिया में छा गया कतर-
कतर ने दुनियाभर में रणनीतिक तौर कैश का इस्तेमाल किया. उन्होंने साल 2005 में कतर इंवेस्टमेंट अथॉरिटी (QIA) बनाया. उसने लंदन में खरीदारी शुरू की. उसने 2 बिलियन डॉलर में हैरोड्स खरीदा. इसके बाद कैनरी व्हार्फ में हिस्सेदारी खरीदी. उसने वेस्टर्न यूरोप की सबसे ऊंची इमारत द शार्ड का निर्माण किया. उसने हीथ्रो एयरपोर्ट का 20 फीसदी खरीदा और चेल्सी बैरक का अधिग्रहण किया.
हालांकि उसकी खरीदारी लंदन तक ही सीमित नहीं थी. कतर ने पेरिस सेंट जर्मेन को खरीदा. इसने उसको ग्लोबल पावरहाउस बना दिया. उसने वोक्सवैगन में 10.5 फीसदी हिस्सेदारी हासिल की.
अल जजीरा से अरब मीडिया में क्रांति-
कतर एयरवेज दुनिया के टॉप एयरलाइंस में से एक बन गया. लेकिन कतर ने सबसे बड़ा कदम साल 1996 में उठाया. इस साल कतर ने अल जजीरा की शुरुआत की. 137 मिलियन डॉलर के अनुदान के साथ अल जजीरा ने अरबी मीडिया में क्रांति ला दी. अल जजीरा आज दुनिया के प्रतिष्ठित मीडिया ग्रुप में से एक है. इसने कतर को मिडल ईस्ट में सॉफ्ट पावर बना दिया.
कतर में विदेशी मजदूरों की भरमार-
लेकिन कतर को खड़ा करने के लिए एक बड़े पैमाने पर मजदूरों की जरूरत थी. इसके लिए कतर ने साउथ एशिया से लाखों मजदूरों को बुलाया. आज कतर की 28 लाख आबादी में से 88 फीसदी विदेशी हैं. लेकिन उनके पास नागरिकता नहीं है. मजदूरों को लेकर कई सवाल भी उठते रहे हैं. मानवाधिकार संगठनों तक ने सवाल उठाए हैं.
दुनिया को बैलेंस कर रहा कतर-
कतर की फॉरेन पॉलिसी भी अलग तरह की है. एक तरफ उनकी ईरान से अच्छी दोस्ती है तो दूसरी तरफ ईरान के दुश्मन अमेरिका का मिडिल ईस्ट के सबसे बड़ा सैन्य अड्डा भी कतर में है. साल 2017 में सऊदी अरब ने आतंकवाद का समर्थन करने का आरोप लगाया और 3.5 साल तक कतर की नाकेबंदी की. लेकिन कतर ने सप्लाई चेन को बदलकर इससे बच निकला. इसकी सबसे बड़ी वजन प्राकृतिक गैस है. जब रूस ने यूक्रेन पर हमला किया तो यूरोप गैस के लिए कतर की तरफ देखने लगा. कतर ने भी इसका खूब फायदा उठाया. कतर ने साल 2019 में साल 2026 तक एलएनजी निर्यात को 64 फीसदी बढ़ाने के लिए नॉर्थ फील्ड के विस्तार शुरू किया. आज 3.2 लाख नागरिकों वाला देश कतर खुद से 100 गुना बड़े देशों के बराबर शक्ति रखता है.
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