South Korea's New President Lee Jae Myung: फैक्ट्री में पहले करते थे मजदूरी... फिर बने वकील... और अब चुने गए साउथ कोरिया के राष्ट्रपति... ऐसी है ली जे-म्युंग की कहानी

Success Story of Lee Jae Myung: साउथ कोरिया के नए राष्ट्रपति ली जे-म्युंग चुने गए हैं. ली का जन्म काफी गरीब परिवार में हुआ था. आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण ली को फैक्ट्री में मजदूरी तक करनी पड़ी. आइए जानते हैं ली जे-म्युंग के मजदूरी करने, फिर वकील बनने और अब राष्ट्रपति पद के शिखर तक पहुंचने की कहानी. 

Lee Jae Myung
मिथिलेश कुमार सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 04 जून 2025,
  • अपडेटेड 7:54 PM IST
  • राष्ट्रपति चुनाव में ली जे-म्युंग को मिले 49.42% वोट
  • प्रतिद्वंद्वी किम मून-सू को 41.15% वोट से करना पड़ा संतोष

साउथ कोरिया (South Korea) की राजनीति में एक बड़ा बदलाव आया है. अब इस देश की कमान कभी फैक्ट्री में मजदूरी करने वाले ली जे-म्युंग (Lee Jae Myung) के हाथों में आ गई है. ली जे-म्युंग दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति चुने गए हैं. 

राष्ट्रपति चुनाव में उदारवादी नेता ली जे-म्युंग को जहां 3.5 करोड़ वोटों में से 49.42% मत मिले तो वहीं उनके प्रतिद्वंद्वी किम मून-सू को 41.15% वोट से संतोष करना पड़ा. डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता ली जे-म्युंग की जीत साउथ कोरिया की राजनीति में एक नए युग की शुरुआत मानी जा रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साउथ कोरिया के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति ली जे-म्युंग को जीत की बधाई दी है. आइए जानते हैं ली जे-म्युंग के फैक्ट्री में मजदूरी करने, फिर वकील बनने और अब राष्ट्रपति पद के शिखर तक पहुंचने की कहानी. 

बेहद गरीब परिवार में हुआ था जन्म 
ली जे-म्युंग का जन्म साल 1963 में ग्योंगबुक प्रांत के एंडोंग स्थित एक पहाड़ी गांव में हुआ था. उनके माता-पिता काफी गरीब थे. ली जे-म्युंग सात भाई-बहनों में पांचवें नंबर पर थे. घर की आर्थिक स्थिति काफी खराब होने के कारण म्युंग ने प्राथमिक विद्यालय के बाद ही फैक्ट्री में काम करना शुरू कर दिया था. 

ली जे-म्युंग जब 13 साल के थे, तभी उनके साथ एक बड़ा हादसा हो गया. उनकी कलाई एक प्रेस मशीन में कुचल जाने से उनके हाथ में चोट लग गई. इससे उनका हाथ ठीक से काम करना बंद कर दिया. इसके बावजूद म्युंग ने हार नहीं मानी. पैसे नहीं होने के बावजूद उन्होंने पढ़ाई जारी रखी. छात्रवृत्ति के पैसे से उन्होंने कानून की डिग्री हासिल की. उन्होंने साल 1986 में कानून की डिग्री हासिल की. वकालत की पढ़ाई करने के बाद उन्होंने एक मानवाधिकार वकील के तौर पर काम किया.

ऐसी की राजनीतिक पारी की शुरुआत 
ली जे-म्युंग ने अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत साल 2005 में उरी पार्टी के साथ शुरू की. वह साल 2010 में सेओंगनाम शहर के मेयर चुने गए. मेयर रहते हुए उन्होंने कई कल्याणकारी नीतियों को लागू किया. इसके बाद ली जे-म्युंग ग्योंग्गी प्रांत के गवर्नर बने, जो दक्षिण कोरिया का सबसे अधिक जनसंख्या वाला क्षेत्र है. गवर्नर रहते हुए कोविड-19 महामारी के दौरान म्युंग के राहत कार्यों ने उन्हें काफी प्रशंसा दिलाई. 

साल 2022 में मिली थी हार
ली जे-म्युंग ने साल 2022 में भी राष्ट्रपति चुनाव लड़ा था लेकिन वह यूं सुक-योल से बहुत कम अंतर से हार गए थे. इसके बाद म्युंग ने साल 2024 में राजनीतिक संकट के बाद जोरदार वापसी की. दिसंबर 2024 में जब यूं ने कथित तौर पर मार्शल लॉ लागू करने का असफल प्रयास किया. उस समय ली जे-म्युंग ने लाइव स्ट्रीम कर संसद की बाड़ फांदते हुए प्रवेश किया. इसके बाद पूरे साउथ कोरिया में जोरदार विरोध-प्रदर्शन होने लगा. अंत में यूं सुक-योलका का महाभियोग हुआ.

राष्ट्रपति बनने के बाद ली जे-म्युंग के सामने रहेंगी ये चुनौतियां 
61 वर्षीय ली जे-म्युंग ने राष्ट्रपति चुनाव जीतने के बाद इसे जनता का फैसला बताया. उन्होंने कहा कि उनका पहला काम कभी दोबारा सैन्य तख्तापलट न होने देना होगा. राष्ट्रपति बनने के बाद ली जे-म्युंग के सामने और भी कई चुनौतियां रहेंगी, जिनसे उन्हें निपटना होगा. म्यूंग के सामने डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीति और उत्तर कोरिया के परमाणु कार्यक्रम जैसी चुनौतियां रहेंगी. अमेरिका द्वारा लगाए गए आयात शुल्क के कारण साउथ कोरिया के अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका लगा है. 

इसका सबसे अधिक असर ऑटो और स्टील जैसे क्षेत्रों पर पड़ा है. वॉशिंगटन स्थित सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज (CSIS) का कहना है कि ली जे-म्युंग को राष्ट्रपति बनने के तुरंत बाद सबसे पहले ट्रंप से समझौता करना होगा. ली ने चीन और उत्तर कोरिया के साथ नरम रवैये की इच्छा जताई है. हालांकि उन्होंने कहा है कि अमेरिका के साथ गठबंधन दक्षिण कोरिया की विदेश नीति की रीढ़ बना रहेगा. आपको मालूम हो कि ली जे-म्युंग पर पहले चीन और उत्तर कोरिया की ओर झुकाव का आरोप लगता रहा है, लेकिन उन्होंने बार-बार अमेरिका के साथ गठबंधन को दक्षिण कोरिया की विदेश नीति की नींव बताया है.


 

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